India News (इंडिया न्यूज), Why Ganga Water Is Not Polluted: प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और यहां हर दिन सैकड़ों लोग संगम में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। इस बीच यहां से मां गंगा के जल के प्रदूषित होने की अफवाहें फैल रही हैं। हालांकि, कई बार शोध में ये साबित हो चुका है कि भारत की सबसे पवित्र नदियों में एक मां गंगा का पानी खुद को साफ रखने की अद्भुत क्षमता रखता है। यही वजह है कि गंगाजल सालों-साल भी सड़ता नहीं है और ना ही इसमें से बदबू आती है। आगे जानें इसके पीछे की वजह क्या है?
जब कलियुग में हुई शोध
गंगा हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में सबसे पवित्र नदी बताई गई है। कलियुग में भी इंसान पाप धोने के लिए इस नदी में डुबकी लगाने जाते हैं, सिर्फ यही नहीं इसके सेवन से दीर्घायु और निरोगी काया की भी मान्यता है। उत्तराखंड में गोमुख से निकलकर गंगा नदी 2,525 किलोमीटर का सफर तय करके बंगाल की खाड़ी में गिरती है। भारत की सबसे लंबी नदी के जल को लेकर कई बार शोध हो चुकी है। एक ऐसी ही शोध मशहूर ब्रिटिश वैज्ञानिक अर्नेस्ट हैन्किन ने भी की थी। वो ये शोध 1890 में आए अकाल और हैजा फैसने से हुई मौतों के बाद करने गए थे। इस महामारी में सैकड़ों मौतों की वजह से जलाने और दफनाने का साधन खत्म हो गया था, जिसकी वजह से लोगों ने लाशें गंगा में बहा दी थीं।
पेपर में क्या लिखा था?
अर्नेस्ट हैन्किन ये देखकर हैरान थे कि हैजे से मरे हुए लोगों जिस नदी में बहाए गए, उस नदी का पानी इस्तेमाल करने वालों को कोई नुकसान नहीं हो रहा था। उन्होंने गंगाजल के सैंपल पर शोध की तो उन्हें हैरान कर देने वाले नतीजे दिखे। उन्होंने 1895 में इंडियन मेडिकल गजट पब्लिश किए अपने पेपर ‘ऑब्जर्वेशनऑन कॉलरा इन इंडिया’ में लिखा था कि ‘भारत की नदियां गंगा और यमुना, ब्रिटेन और यूरोप की नदियों से ज्यादा साफ हैं’।
क्या है वो चमत्कार?
उन्होंने इस पेपर में बताया था कि गंगा मैया के जल में एक ऐसा पदार्थ मिलता है जो हैजा जैसे खतरनाक बैक्टीरिया को खत्म करने की ताकत रखता है। वो गंगा की सेल्फ क्लीनिंग और पर सेल्फ हीलिंग प्रॉपर्टीज को देखकर हैरान रह गए थे। इसके बाद कलियुग में कई तरह की खोजें हुईं और पाया गया कि गंगाजल में करीब 1000 तरह के ‘बैक्टीरियोफेज’ मौजूद हैं, जो खतरनाक बैक्टीरिया को खा जाने वाले एक तरह के वायरस हैं।
इसके अलावा गंगाजल वायुमंडल से ज्यादा ऑक्सीजन सोखने की क्षमता रखता है, जिससे ये पानी सालों-साल तक सड़ता नहीं है। यही नहीं सबसे लंबी नदी होने की वजह से ये रास्ते में कई तरह की जड़ी-बूटियों और खनिजों से होकर गुजरती है और इस वजह से इसके जल में स्वास्थ्य वर्धक गुण भी होते हैं।