India News Delhi(इंडिया न्यूज़), Delhi Chief Minister: पहली बार विधायक बनी रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं। लेकिन उन्हें पूरी तरह अधिकार नहीं मिलेंगे। उनके पास वो 5 विशेष अधिकार नहीं होंगे, जो दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होते हैं।

आइए जानते हैं कि वो कौन सी शक्तियां हैं और क्यों दिल्ली सरकार के पास नहीं होंगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां नहीं हैं, जो भारत के दूसरे पूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होती हैं। इसकी वजह ये है कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और ये देश की राजधानी भी है। इसलिए ये देश का सबसे खास इलाका है, इसलिए इसकी कई शक्तियां केंद्र सरकार अपने पास रखती है।

दिल्ली को आंशिक राज्य का दर्जा प्राप्त है। दिल्ली का प्रशासन संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत चलता है, जो दिल्ली को विधानसभा देता है, लेकिन कुछ शक्तियां केंद्र सरकार के पास रखता है।

पांच प्रमुख शक्तियां कौन सी हैं?

  • 1. पुलिस पर कोई नियंत्रण नहीं
  • – दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आती है
    – दिल्ली सरकार के पास कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण का कोई अधिकार नहीं है
    अगर दिल्ली में कोई दंगा या कानून व्यवस्था की समस्या होती है, तो मुख्यमंत्री पुलिस को सीधे आदेश नहीं दे सकते।
  • 2. जमीन पर कोई नियंत्रण नहीं
  • – दिल्ली में जमीन से जुड़े सभी मामले केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के अधीन हैं।
    – दिल्ली सरकार रियल एस्टेट या सरकारी जमीन पर सीधे फैसले नहीं ले सकती।
  • 3. कानून व्यवस्था पर कोई अधिकार नहीं
  • – दिल्ली राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है
    – दिल्ली सरकार किसी भी तरह के सुरक्षा बलों को तैनात करने या हटाने का फैसला नहीं ले सकती
  • 4. नगर निगम (MCD) पर पूरा नियंत्रण नहीं
  • – दिल्ली नगर निगम (MCD) एक अलग इकाई के रूप में काम करता है और केंद्र सरकार के अधीन आता है।
    – दिल्ली सरकार का नगर निगम सेवाओं जैसे सफाई, सड़क मरम्मत आदि पर सीमित प्रभाव है।
  • 5. हर काम में राज्यपाल की मंजूरी जरूरी
  • – दिल्ली में उपराज्यपाल (LG) की भूमिका बहुत अहम है।
    – दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए कई कानूनों और नीतियों को लागू करने से पहले एलजी की मंजूरी जरूरी है।
    – एलजी के पास कुछ मामलों में वीटो पावर भी है और वह फैसले को केंद्र सरकार के पास भेज सकते हैं।
    – अन्य राज्यों में ऐसा नहीं होता।

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अधिक अधिकारों की मांग जारी

दिल्ली के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों ने लगातार मांग की है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, ताकि दिल्ली के मुख्यमंत्रियों को वास्तविक अधिकार मिल सकें। अरविंद केजरीवाल पूर्व मुख्यमंत्री थे जो इस मांग को करने में सबसे आगे थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बार-बार यह मुद्दा उठाया कि जब दिल्ली सरकार जनता से टैक्स लेती है और चुनाव लड़ती है, तो फिर पुलिस और जमीन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर उसका नियंत्रण क्यों नहीं होना चाहिए।

अधिकारों की लड़ाई में वह सुप्रीम कोर्ट गए और कई बार उपराज्यपाल (एलजी) से भिड़ गए। वह चुनावों में भी “पूर्ण राज्य” को अहम मुद्दा बनाते रहे।

शीला ने मांगे और अधिकार

अपने लंबे कार्यकाल के दौरान शीला दीक्षित (1998-2013) ने कई बार केंद्र सरकार से मांग की थी कि दिल्ली सरकार को और प्रशासनिक अधिकार दिए जाएं। उन्होंने खास तौर पर पुलिस और भूमि नियंत्रण पर अधिकार की वकालत की, ताकि कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने और योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने में आसानी हो। हालांकि, केंद्र में उनकी पार्टी (कांग्रेस) के सत्ता में होने के कारण वे केजरीवाल की तरह आक्रामक नहीं थीं।

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पूर्ण राज्य की मांग क्यों उठाई जा रही है?

चूंकि कानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि नियंत्रण केंद्र सरकार के पास है, इसलिए मुख्यमंत्री अक्सर फैसले लेने में असमर्थ होते हैं। राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण केंद्र सरकार चाहती है कि दिल्ली की सुरक्षा और भूमि संबंधी मामलों पर उसका सीधा नियंत्रण हो। दिल्ली के मुख्यमंत्री और स्थानीय सरकारों का मानना ​​है कि इससे उनकी शक्ति सीमित हो जाती है और जवाबदेही कम हो जाती है।

यह अंतर क्यों है?

दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए केंद्र सरकार इसकी सुरक्षा और प्रशासन पर सीधा नियंत्रण चाहती है। यही कारण है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया है।