India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra Political: चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत के बाद भाजपा-शिवसेना के सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन में शामिल हुए अजित पवार क्या अब अलग-थलग पड़ रहे हैं? शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) यह दावा कर रही है और अपने दावे के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े एक मराठी साप्ताहिक अखबार में छपे लेख का हवाला भी दे रही है।
बता दें कि, इस लेख में कहा गया है कि 2023 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के साथ गठबंधन के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ जनता की भावना तेजी से उभरी है, जिसके परिणामस्वरूप महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा है।
शरद गुट ने किया बड़ा दावा
एनसीपी (सपा) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, लोकसभा चुनावों में हार के बाद भाजपा महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसे एहसास हो गया है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन जारी रखने से उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा। आगे उन्होंने कहा, “सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र की जनता ने बड़े पैमाने पर एनसीपी (सपा) के पक्ष में मतदान किया है। भाजपा भी इस पूरे मामले में सतर्कता बरत रही है, क्योंकि वह चुनाव जीतना चाहती है।
क्रैस्टो ने क्या कहा?
क्रैस्टो ने यह भी दावा किया कि, “उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन उन्हें अगले चुनाव में भी हरा देगा, ठीक वैसे ही जैसे लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। साप्ताहिक (विवेक) में प्रकाशित लेख उन तरीकों में से एक है। जिससे वे अजित पवार से दूरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं और शायद किसी तरह से उन्हें (महायुति) छोड़ने के लिए कहें।” प्रवक्ता ने आगे कहा कि आरएसएस से जुड़े प्रकाशन ने कुछ सप्ताह पहले इसी तरह की सामग्री वाला एक और लेख लिखा था।
क्रैस्टो ने आगे कहा कि, “अजित पवार को साथ लाने के फैसले ने भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इसके कारण पार्टी महाराष्ट्र में कई लोकसभा सीटें हार गई है। यह महाराष्ट्र की चुनावी राजनीति की मौजूदा हकीकत है। ऐसा लगता है कि लोगों ने भाजपा के एनसीपी और इसी तरह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन को स्वीकार नहीं किया है।