India News (इंडिया न्यूज), Shahzadi Case: भारत की शहजादी को अबू धाबी जेल में फांसी दी गई थी, लेकिन 20 दिन बाद उन्हें दफना दिया गया। हालांकि, शहजादी के परिवार के सदस्य यानी उनके बूढ़े माता-पिता और भाई उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके। शहजादी के साथ ही एक अन्य भारतीय नागरिक मोहम्मद रिनाश को भी 5 मार्च को अबू धाबी के उस कब्रिस्तान में दफनाया गया। दरअसल, शहजादी को मौत की सजा सुनाए जाने के 13 दिन बाद ही दो और भारतीयों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। ये दोनों केरल के रहने वाले थे। यह कहानी दिल दहला देने वाली है।

शहजादी समेत 3 भारतीयों को मौत की सजा

A7S1 954, ये भारत की रहने वाली शहजादी खान की कब्र का नंबर है। उन्हें अबू धाबी के कब्रिस्तान में गुरुवार 5 मार्च को ठीक 12.30 बजे दफनाया गया। शहजादी की कब्र के ठीक बगल में एक और कब्र है, जिसका नंबर A7S1 953 है। शहजादी के साथ ही लगभग उसी समय भारत के मोहम्मद रिनाश को भी उस दूसरी कब्र में दफनाया गया था। शहजादी और मोहम्मद रिनाश के अलावा तीसरे भारतीय मुरलीधरन को भी 28 फरवरी को रिनाश के साथ मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन मुरलीधरन के परिवार से कोई भी अबू धाबी नहीं पहुंचा। यही वजह है कि अब तक मुरलीधरन का अंतिम संस्कार नहीं हो सका।

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शहजादी के परिवार को कब मिली मौत की खबर?

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, शहजादी के घर से कोई भी व्यक्ति अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए यूपी के बांदा से अबू धाबी नहीं पहुंचा था। अबू धाबी के अधिकारियों ने पहले ही कह दिया था कि शहजादी का शव 5 मार्च तक मुर्दाघर में रहेगा। इसके बाद अगर परिवार से कोई नहीं भी आता है तो भी उसे दफना दिया जाएगा। राजकुमारी के पिता शब्बीर खान और उनकी पत्नी इतने कम समय में अबू धाबी जाने का इंतजाम नहीं कर पाए। 5 मार्च की डेडलाइन बीतते ही 6 मार्च की सुबह शब्बीर खान को अबू धाबी से फोन आया। शायद यह फोन यूएई में भारतीय दूतावास से था। इस कॉल पर शब्बीर खान को बताया गया कि शहजादी को अबू धाबी के स्थानीय समय के अनुसार ठीक 12.30 बजे दफनाया जाएगा। अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए नाम पूछे जाने पर राजकुमारी के पिता ने अबू धाबी में मौजूद अपने दो रिश्तेदारों के नाम बताए।

कैसे दी गई सजा-ए-मौत?

शहजादी को 15 फरवरी की सुबह 5:30 बजे अबू धाबी के अल बाथवा जेल में फायरिंग स्क्वाड ने दिल में गोली मारकर मौत की सजा दी थी। बताया जा रहा है कि, फायरिंग स्क्वाड में कुल 5 लोग थे। शहजादी को एक खास तरह का कपड़ा पहनाकर खंभे से बांधा गया था। उसके दोनों हाथ पीछे की ओर बंधे हुए थे। दिल के ठीक ऊपर कपड़े का एक टुकड़ा रखा गया था। ताकि शूटर को दिल पर निशाना लगाकर गोली मारने में आसानी हो। शहजादी की तरह ही 13 दिन बाद 28 फरवरी की सुबह रिनाश और मुरलीधरन को भी अल-ऐन जेल में फायरिंग स्क्वाड ने उसी तरह दिल में गोली मारकर मौत की सजा दे दी। यूएई के कानून के तहत मौत की सजा पाने वालों के शवों को उनके देश वापस नहीं भेजा जाता। बल्कि वहीं उनके धर्म के हिसाब से उनका अंतिम संस्कार या दफना दिया जाता है।

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