India News (इंडिया न्यूज),Yogi Adityanath News : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रभाव भारतीय राजनीति में लगातार बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि वह देश के 100 सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों की सूची में टॉप 10 में शामिल हैं। उनकी बढ़ती लोकप्रियता के पीछे कई अहम कारण हैं, जिनकी बदौलत उन्हें इस सूची में छठा स्थान मिला है। दिलचस्पी की बात यह है कि उन्होंने इस रैंकिंग में अपने ही दल के वरिष्ठ नेता और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पीछे छोड़ दिया है। योगी आदित्यनाथ उनसे एक स्थान आगे हैं। आइए जानते हैं कि किन वजहों से उन्हें इस सूची में छठा स्थान मिला।

‘ब्रांड योगी’ की बढ़ती पहचान

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ अब ‘ब्रांड योगी’ बन चुके हैं। उनकी मजबूत प्रशासकीय शैली न केवल भाजपा के अन्य मुख्यमंत्रियों, बल्कि विपक्षी दलों द्वारा भी अपनाई जा रही है। रिपोर्ट में बताया गया कि योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या बेहद अनुशासित है। वह सुबह जल्दी उठते हैं और अधिकारियों के काम पर आने से पहले ही कई अखबार पढ़ लेते हैं। इससे उन्हें प्रदेश की हर महत्वपूर्ण घटना की जानकारी पहले ही मिल जाती है, जिस पर वे तुरंत एक्शन लेने के लिए तैयार रहते हैं।

योगी मॉडल की नकल कर रहे कई राज्य

योगी आदित्यनाथ की प्रशासनिक रणनीतियों को देश के अन्य राज्यों में भी अपनाया जा रहा है। चाहे वह ‘बुलडोजर जस्टिस’ हो, उपद्रवियों को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने की नीति हो या फिर एंटी-रोमियो स्क्वॉड—कई राज्यों ने इन कदमों को अपने शासन में शामिल किया है। यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में 8 वर्षों के कार्यकाल के बावजूद, वह भाजपा के सबसे प्रभावशाली प्रचारकों में से एक बने हुए हैं। उनकी नीतियों और नेतृत्व शैली ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई है।

सीएम योगी के ‘पावर पंच’ को लेकर बताया गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में भाजपा को बड़ी हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने राज्य में हुए अहम उपचुनावों की कमान संभाली और बेहतरीन रणनीति के साथ पार्टी को जीत दिलाई। उनकी अगुवाई में भाजपा ने 9 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की, यहां तक कि समाजवादी पार्टी के मजबूत गढ़ों को भी अपने पक्ष में कर लिया।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, योगी आदित्यनाथ के सामने अब 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़े हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या यूपी भाजपा आम चुनावों में हुए खराब प्रदर्शन को भुलाकर आगे बढ़ पाएगी, खासकर जब 2027 में राज्य में फिर से मतदान होगा? इस पर सभी की नजरें योगी आदित्यनाथ पर टिकी हैं। साथ ही, यह भी चर्चा का विषय है कि क्या वह पार्टी में किसी बड़ी भूमिका के लिए तैयार हो रहे हैं?

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