India News (इंडिया न्यूज),Swiss Village Wiped Off:स्विट्जरलैंड की खूबसूरत वादियों के बीच बसा ब्लैटन गांव बुधवार को भयंकर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया। दक्षिण-पश्चिमी स्विट्जरलैंड की लोएत्सचेंटल घाटी में स्थित इस गांव पर आल्प्स से एक विशाल ग्लेशियर की चट्टान टूटकर गिरी, जिससे हजारों टन बर्फ, मिट्टी और पत्थर का मलबा गांव की ओर बह आया। स्थानीय प्रशासन ने संभावित भूस्खलन के खतरे को देखते हुए पहले ही गांव को खाली करा लिया था, जिससे बड़ी जनहानि टल गई, लेकिन गांव का 90 फीसदी हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया।
हम इसका पुनर्निर्माण करेंगे-मेयर मैथियास
ब्लैटन के मेयर मैथियास बेलवाल्ड एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि हमने अपना गांव खो दिया। यह अब मलबे के नीचे दब गया है। लेकिन हम इसका पुनर्निर्माण करेंगे। वहीं, वैलेस प्रांत के अधिकारी स्टीफन गैंजर ने कहा कि पूरे गांव का अधिकांश हिस्सा भूस्खलन की चपेट में आ गया है। प्रशासनिक प्रवक्ता मैथियास एबेनर ने कहा कि यह कल्पना से परे है कि इतनी बड़ी मात्रा में चट्टानें और मिट्टी घाटी में गिरी हैं।
19 मई को ही चेतावनी जारी
सभी तैयारियां पहले से ही थीं प्राकृतिक आपदा से पहले वैज्ञानिकों ने 19 मई को ही चेतावनी जारी कर दी थी। पहाड़ के पीछे दरारें दिखाई देने लगी थीं और ग्लेशियर के खिसकने की आशंका थी। इस आधार पर समय रहते पूरे गांव को खाली करा लिया गया। गांव के करीब 300 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन एक व्यक्ति अभी भी लापता है, जिसकी तलाश जारी है।
जलवायु परिवर्तन
स्विस पर्यावरण वैज्ञानिक क्रिश्चियन ह्यूगेल का मानना है कि यह आपदा स्थानीय पर्मा-फ्रॉस्ट (स्थायी रूप से जमी बर्फ) के पिघलने के कारण आई, जिससे पहाड़ की स्थिरता कमजोर हो गई। उन्होंने कहा कि स्विस आल्प्स में पिछली सदी में ऐसी आपदा नहीं देखी गई। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियरों की स्थिति बेहद अस्थिर होती जा रही है।
हिमालय क्षेत्र भी संकट
हिमालय क्षेत्र भी इस संकट से अछूता नहीं है। वर्ष 2013 में केदारनाथ में ग्लेशियर झील के फटने से 6,000 लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2023 में सिक्किम के साउथ लोनक ग्लेशियर से अचानक आई बाढ़ में 100 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। आईपीसीसी की रिपोर्ट बताती है कि यदि तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ता है, तो हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे और ग्लेशियल झीलों के फटने से आने वाली बाढ़ (जीएलओएफ) और भी विनाशकारी हो जाएगी।