India News(इंडिया न्यूज),Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान के सासन में आते ही कई सारे नियमों में बदलाव देखने को मिला। जिसमें एक बड़ा बदलाव था अफगान लड़कियों के स्कूल जानें पर पाबंदी लगाना। वहीं इस मामले में अब एक नया मोड़ ये आ रहा है कि, क्या अफगानिस्तान में अफगान लड़कियों के लिए एक बार फिर से स्कूल खुलने वाले है। हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि, अफगानिस्तान में धार्मिक विद्वानों और आदिवासी नेताओं ने तालिबान से देश के संस्थानों और विश्वविद्यालयों को महिलाओं के लिए तुरंत खोलने की मांग की है। जिसका कारण उन्होनें शिक्षा प्राप्त करने के उनके मूल अधिकार से समझौता जारी है। जानकारी के लिए बता दें कि, काबुल में एक बैठक में धार्मिक विद्वान और आदिवासी नेताओं ने कहा कि, महिलाओं को शिक्षा तक पहुंच मिलनी चाहिए और उनकी उपस्थिति देश के लिए आवश्यक है।
विद्वानों और आदिवासी बुजुर्गों की भूमिका
जानकारी के लिए बता दें कि, शनिवार को क़स्रे सपिदार में “राष्ट्र और व्यवस्था के बीच संबंधों को मजबूत करने में विद्वानों और आदिवासी बुजुर्गों की भूमिका” विषय पर एक बैठक आयोजित की गई। वहीं मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, इसमें अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों के दो सौ से अधिक धार्मिक विद्वानों और आदिवासी बुजुर्गों के साथ-साथ तालिबान के मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भाग लिया।
मोहम्मद हाशेम ने दी जानकारी
वहीं इस मामले में अफगानिस्तान के दक्षिणी क्षेत्र के प्रतिनिधि मोहम्मद हाशेम ने कहा कि, “शिक्षा के संबंध में समिति का विचार है कि इस्लामिक अमीरात ने धार्मिक और समकालीन विज्ञान की जरूरतों पर ध्यान दिया है, लेकिन उसे लड़कियों और महिलाओं के लिए स्कूल और विश्वविद्यालय खोलने चाहिए। इसके साथ ही कुछ प्रतिभागियों ने अनुरोध किया कि तालिबान विकास, अर्थव्यवस्था और योग्य अधिकारियों के रोजगार के बारे में अफगान लोगों के उचित अनुरोधों पर विचार करें।
अब्दुल हादी ने कही ये बात
इसके साथ ही अफगानिस्तान के दक्षिण पूर्व क्षेत्र के प्रतिनिधि अब्दुल हादी ने कहा, “हम इस्लामिक अमीरात से पूरे अफगानिस्तान में जल बांध बनाने के लिए कहते हैं ताकि जल स्तर बढ़ सके और लोगों की समस्याएं कम हो सकें। इसके अलावा, 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से अफगानिस्तान की महिलाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। तालिबान नेताओं ने महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और रोजगार तक पहुंच प्रदान करने के अंतरराष्ट्रीय आह्वान की भी अवहेलना की है। उन्होंने अन्य देशों को भी अफगानिस्तान के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी जारी की है।
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