India News (इंडिया न्यूज), Chagos Island To Mauritius : ब्रिटेन ने बढ़ी शांति से चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को वापस कर दिया है। उपनिवेशवाद के इस जख्म पर आखिर कार 60 साल बाद मरहम लगा है। भारत के लिए ये खबर इस लिए और भी ज्यादा खास है क्योंकि इसमें पीएम मोदी का भी अहम रोल रहा है। गुरुवार को ब्रिटेन और मॉरीशस के प्रधानमंत्रियों- कीर स्टार्मर और नवीन रामगुलाम ने डिजिटल समारोह में उस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस हस्ताक्षर के बाद अब चागोस द्वीपसमूह, और रणनीतिक रूप से अहम डिएगो गार्सिया भी मॉरीशस को वापस दे दिया गया है। मॉरीशस की तरफ से इश सौदे को ऐतिहासिक बताते हुए भारत और प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद कहा है। वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने इस समझौते को लंबे समय से चले आ रहे चागोस विवाद का शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित समाधान बताया है।
चागोस आइलैंड का इतिहास?
चागोस द्वीप उपनिवेशवाद का जीता जागता उदाहरण है। यह ऐसा मामला है जब बिना पूछे जमीनें छीन ली गईं और स्थानीय लोगों को बेदखल कर दिया गया। 1965 में भी ऐसा ही हुआ था, जब मॉरीशस को आजादी मिली थी, लेकिन उससे ठीक पहले ब्रिटेन ने चागोस द्वीपसमूह को उससे अलग कर दिया था। इसके बाद द्वीप के हजारों निवासियों को वहां से बेदखल कर दिया गया था। अमेरिका ने डिएगो गार्सिया पर एक बमवर्षक और नौसैनिक अड्डा बनाया। अब यह अड्डा मॉरीशस की जमीन पर होगा, हालांकि ब्रिटेन इसे 99 साल की लीज पर फिर से ले सकेगा।
ब्रिटेन-मॉरीशस डील में पीएम मोदी का रोल
ब्रिटेन-मॉरीशस के बीच 60 साल बाद हुए सौदे में पीएम मोदी की भूमिका की बात करें तो अक्टूबर 2024 में ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच हुए शुरुआती समझौते में भारत की मूक कूटनीतिक मौजूदगी थी। साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार मॉरीशस के दावे का समर्थन किया। भारत के लिए यह मामला सिर्फ एक सहयोगी देश के अधिकारों की लड़ाई नहीं थी, बल्कि हिंद महासागर में अपने सामरिक संतुलन को मजबूत करने और ग्लोबल साउथ की आवाज बनने की दिशा में एक अहम कदम भी था।
इस सौदे के बाद मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने सीधे पीएम मोदी का नाम लेकर आभार जताया। उन्होंने कहा कि भारत के लगातार कूटनीतिक समर्थन और भरोसे ने इस संघर्ष को अंजाम तक पहुंचाया। चागोस द्वीपसमूह की वापसी मॉरीशस के लिए आत्मसम्मान की वापसी है। भारत के लिए यह एक नैतिक जीत है, जो उपनिवेशवाद के खिलाफ उसकी ऐतिहासिक सोच को दोहराती है।