India News (इंडिया न्यूज), Brahmos To Indonesia : इस बार 26 जनवरी को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो मुख्य अतिथी के रूप में भारत आ रहे हैं। खास बात ये है कि इस बार परेड में दुनिया की सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भी नजर आएगी। याद दिला दें कि फिलीपींस के बाद इंडोनेशिया दूसरा ऐसा देश था, जिसने ब्रह्मोस की खरीद की इच्छा जाहिर की थी। रिपोर्ट्स की माने तो दोनों देशों के बीच डील अपने फाइनल स्टेज पर है। ऐसा माना जा रहा है कि 450 मिलियन डॉलर की इस डील का ऐलान सुबिआंतो भारत दौरे के दौरान कर सकते हैं। अब चीन के लिए ये डील चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच मल्लका स्ट्रेट से चीन का 80 फीसदी एनर्जी ट्रेड गुजरता है। जोकि ड्रैगन के लिए बुरी खबर है।
भारत-फिलीपींस के बीच डील
भारत और फिलीपींस के बीच 375 मिलियन डॉलर में तीन मिसाइल बैटरी का करार किया था। फिलीपींस को ब्रह्मोस की सप्लाई भी शुरू हो चुकी है। अब इंडोनेशिया के साथ अगर करार होता है तो सबसे बड़ी मुसीबत चीन के लिए खड़ी हो जाएगी। साउथ चाइना सी और उसके आसपास के देशों को चीन धमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। उनके एक्सक्लूसिव इकॉनोमिक जोन यानी EEZ में भी अपना कब्जा करता रहता है। इसके तहत फिलीपींस के द्वीपों और EEZ का हिस्सा भी आता है। चीन के हिसाब से पर कब्जा जताने के लिए फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान और मलेशिया के समुद्री क्षेत्र पर कब्जे की संकट बढ़ गया है। अब फिलीपींस को ब्रह्मोस मिलने के बाद से राहत है।
ब्रह्मोस मिसाइल और देशों ने भी दिखाई रूचि
भारत चीन की घेरने वाली चाल उसी पर आजमा रहा है। आसपास के समुद्री इलाके में चीन के खिलाफ सुपरसोनिक ब्रह्मोस चक्रव्यूह तैयार हो रहा है। फिलीपींस को पहले ही ब्रह्मोस मिलने शुरू हो चुके हैं। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल में कई और देशों ने भी रूचि दिखाई है जिसमें इंडोनेशिया, थाइलैंड सहित कई देश शामिल हैं। ब्रह्मोस के तीनों वर्जन जिसमें जमीन से मार करने, समंदर से और हवा से दागे जाने वाले मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों में शामिल किया जा चुका है। ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत ये है कि इसकी स्पीड को रडार के जरिए पकड़ पाना भी संभव नहीं होता है।
इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक बार भारतीय वायुसेना की एक ब्रह्मोस लैंड वर्जन मिसाइल गलती से पाकिस्तान की तरफ फायर हो गई थी। मिसाइल 100 किलोमीटर पाकिस्तान के अंदर जाकर गिरी लेकिन पाकिस्तान के रडार उसे ट्रेक तक नही कर पायी थी। जो रडार पाकिस्तान के पास है वह चीनी है। इससे यह तो साफ हो गया है कि चीन जैसे देश के पास ब्रह्मोस को ट्रेक करने की तकनीक नहीं है।