India News (इंडिया न्यूज),Greater Israel Plan: सीरिया में असद का शासन नाटकीय ढंग से खत्म हो गया, यह देश 13 साल से गृहयुद्ध का सामना कर रहा था। 27 नवंबर को अचानक विद्रोही समूहों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और महज 11 दिनों के अंदर ही तख्तापलट कर राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया।पश्चिम एशिया के सुन्नी बहुल देश में यह घटना अचानक नहीं हुई, विद्रोही समूह काफी समय से इसकी तैयारी कर रहे थे। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने करीब 2 महीने पहले ही इसके संकेत दे दिए थे।

संयुक्त राष्ट्र में कही थी ये बात

दरअसल, इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने जब 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में अपना संबोधन दिया तो उन्होंने दो नक्शे दिखाए। इसमें उन्होंने एक नक्शे को दुनिया के लिए अभिशाप और दूसरे को वरदान बताया। नेतन्याहू ने जिस नक्शे को अभिशाप बताया, उसमें सीरिया, इराक, ईरान और लेबनान को काले रंग से दिखाया गया था।

इस नक्शे में फिलिस्तीन नहीं था, बल्कि फिलिस्तीन के पूरे हिस्से को इजरायल के तौर पर दिखाया गया था। नेतन्याहू के संबोधन के तुरंत बाद इजरायली सेना ने बेरूत में बंकर-बस्टर बम से बड़ा हमला किया, जिसमें हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह मारा गया। इसके बाद इजरायल ने लेबनान में जमीनी कार्रवाई शुरू की और हिजबुल्लाह को काफी नुकसान पहुंचाया। इजरायल ने लेबनान में अपना काम पूरा कर लिया है और अपने टैंकों को सीरिया की तरफ मोड़ दिया है। पिछले 48 घंटों में इजरायल ने सीरिया पर करीब 300 हवाई हमले किए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले में सीरियाई रक्षा नेटवर्क और वायुसेना की क्षमता पूरी तरह से नष्ट हो गई है।

इजरायल को बड़ा फायदा

वॉर मॉनिटर के मुताबिक इजरायल ने दमिश्क के बरजेह पर हमला किया है और रक्षा मंत्रालय के रिसर्च सेंटर को नष्ट कर दिया है। सीरिया में इलाकों पर इजरायल का कब्जा सीरिया में असद सरकार का तख्तापलट हो चुका है और फिलहाल विद्रोही समूहों ने इजरायल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में इस स्थिति का फायदा उठाते हुए इजरायल दमिश्क के करीब पहुंच गया है। दावा किया जा रहा है कि बफर जोन बनाने के नाम पर इजरायल अब दमिश्क से सिर्फ 25 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है।

इजरायल के कब्जे में हैं ये इलाका

सीरिया का गोलान हाइट्स इलाका कई दशकों से इजरायल के कब्जे में है और संयुक्त राष्ट्र के दबाव के बावजूद वह इस इलाके पर नियंत्रण छोड़ने को तैयार नहीं है। सीरिया में जारी अराजकता के बीच इजरायली सेना ने अब गोलान हाइट्स के पास के इलाकों पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया है। 27 नवंबर को जब विद्रोहियों ने अचानक सीरिया के शहर अलेप्पो पर हमला किया तो कयास लगाए जा रहे थे कि तुर्की के साथ-साथ इजरायल भी सीरिया में तख्तापलट की साजिश के पीछे है। जिस तरह से इजरायली सेना सीरिया में बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर रही है, उससे वाकई इन आरोपों की पुष्टि हो रही है। ऐसा लगता है कि लेबनान में हिजबुल्लाह को कमजोर करना और फिर गोलान हाइट्स इलाके से आगे बढ़कर सीरिया में असद शासन के अंत के साथ सीरियाई इलाके पर कब्जा करना पहले से ही इजरायल की योजना का हिस्सा रहा है।

क्या नेतन्याहू ‘ग्रेटर इजरायल’ योजना पर आगे बढ़ रहे हैं?

ऐसे में एक बार फिर नेतन्याहू के उस नक्शे का जिक्र करना जरूरी हो जाता है, जिसे उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में एक अभिशाप के तौर पर दिखाया था। इस नक्शे का सीरिया में चल रही इजरायली कार्रवाई से गहरा संबंध है। दरअसल, जब नेतन्याहू ने यह नक्शा दिखाया तो सवाल उठने लगे कि क्या वह ‘ग्रेटर इजरायल’ के एजेंडे को पूरा करने के लिए कदम उठा रहे हैं। क्योंकि उन्होंने जो नक्शा दिखाया वह मिस्र में नील नदी से लेकर पश्चिम एशिया में फरात नदी तक फैले यहूदी देश ज़ायोनिज़्म के जनक थियोडोर हर्ज़ेन की ‘ग्रेटर इजरायल’ की कल्पना से मेल खाता है। सीरिया के बाद अब इराक और ईरान की बारी? लेबनान के गाजा में तबाही मचाने के बाद इजरायली सेना ने सीरिया में बड़ा ऑपरेशन शुरू कर दिया है। 27 सितंबर को यूएन में दिए गए भाषण में नेतन्याहू ने इराक में शिया मिलिशिया के खिलाफ कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं। कुछ दिन पहले इराक के संसद समूह कताब सईद अल-शुहादा के प्रवक्ता काज़ेम अल-फ़ार्टोसी ने आरोप लगाया था कि सीरिया में जो कुछ हो रहा है उसके पीछे अमेरिका और इजरायल का हाथ है। उन्होंने कहा था कि सीरिया में जो कुछ भी हो रहा है उसका सबसे बड़ा असर इराक पर पड़ेगा। फ़ार्टोसी ने इराक को प्रतिरोध की धुरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है, जो ईरान द्वारा गठित प्रॉक्सी समूहों का एक समूह है।

दूसरी ओर, इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू कई मौकों पर ईरान को सबसे बड़ा दुश्मन बता चुके हैं। इस साल कई ऐसे मौके आए हैं जब ईरान और इजरायल ने एक-दूसरे पर सीधा हमला किया। एक समय तो ऐसा लगा कि दोनों के बीच जल्द ही पूर्ण युद्ध शुरू हो सकता है। ऐसे में मध्य पूर्व के ताज़ा घटनाक्रम को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर मध्य पूर्व में हालात जल्द नहीं सुधरे तो सीरिया के बाद इराक और ईरान का नंबर आ सकता है।

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