India News (इंडिया न्यूज), Weird Taxes: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी। एक बार फिर करदाताओं की उम्मीदें बढ़ने लगी हैं। विशेषज्ञों ने इसे और हवा दे दी है। उनका कहना है कि ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सरकार मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स में कुछ राहत दे सकती है। बजट की चर्चाओं के बीच आपको ऐसे टैक्स के बारे में बताएंगे। जो दुनिया भर में चर्चा का विषय बने हैं। 

खिड़कियों पर टैक्स

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, साल 1696 में इंग्लैंड और वेल्स के राजा विलियम तृतीय ने खिड़कियों पर टैक्स लगाया था। इसमें लोगों को खिड़कियों की संख्या के हिसाब से टैक्स देना होता था। बताया जा रहा है कि, उस समय राजा का खजाना खाली हो गया था और अपनी स्थिति सुधारने के लिए उसने यह तरकीब अपनाई। जिन घरों में 10 से ज्यादा खिड़कियां होती थीं, उन्हें दस शिलिंग का कर देना पड़ता था। इससे बचने के लिए कई लोगों ने अपनी खिड़कियों को ईंटों से ढक दिया। लेकिन इससे उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा। आखिरकार 156 साल बाद यानी 1851 में यह कर खत्म हो गया।

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दाढ़ी पर टैक्स

साल 1535 में इंग्लैंड के सम्राट हेनरी अष्टम ने दाढ़ी पर कर लगाया था। यह कर व्यक्ति की सामाजिक स्थिति के हिसाब से लिया जाता था। हेनरी अष्टम के बाद उनकी बेटी एलिजाबेथ प्रथम ने नियम बनाया कि दो हफ्ते से ज्यादा दाढ़ी रखने पर कर लगेगा। दिलचस्प बात यह है कि अगर कर वसूली के समय कोई घर से गायब पाया जाता था, तो उसका कर पड़ोसी को चुकाना पड़ता था। इसके अलावा, बताया जाता है कि, 1698 में रूस के शासक पीटर द ग्रेट ने भी दाढ़ी पर कर लगाया था। दाढ़ी बढ़ाने पर कर देना पड़ता था। वह रूसी समाज को यूरोपीय देशों की तरह आधुनिक बनाना चाहते थे।

आत्मा पर भी लगा था टैक्स

1718 में रूसी राजा पीटर द ग्रेट ने आत्मा पर कर लगाया था। यह कर उन लोगों को देना पड़ता था जो आत्मा जैसी चीजों पर विश्वास करते थे। जो लोग आत्मा पर विश्वास नहीं करते थे, उन पर भी कर लगाया जाता था। धर्म में विश्वास न करने पर उन पर कर लगाया जाता था। यानी सभी को कर देना पड़ता था। कहा जाता है कि चर्च और प्रभावशाली लोगों को छोड़कर सभी को यह कर देना पड़ता था। इसमें भी अगर करदाता कर वसूली के समय घर से गायब था, तो पड़ोसी को इसका भुगतान करना पड़ता था।

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जवानों पर भी लगा चुका है टैक्स

नौवीं शताब्दी में रोम में बैचलर टैक्स लगाया गया था। इसकी शुरुआत रोमन सम्राट ऑगस्टस ने की थी। इसके पीछे उद्देश्य विवाह को बढ़ावा देना था। ऑगस्टस ने उन विवाहित जोड़ों पर भी टैक्स लगाया था, जिनके बच्चे नहीं थे। यह टैक्स 20 से 60 वर्ष की आयु के लोगों को देना होता था। 15वीं शताब्दी के दौरान ओटोमन साम्राज्य में भी बैचलर टैक्स था। इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने भी 1924 में बैचलर टैक्स लगाया था। यह टैक्स 21 से 50 वर्ष की आयु के अविवाहित पुरुषों पर लगाया जाता था।

सेक्स पर भी टैक्स लगा चुका है ये देश

1971 में अमेरिका के रोड आइलैंड की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। तब डेमोक्रेटिक स्टेट लेजिस्लेटर बर्नार्ड ग्लैडस्टोन ने राज्य में हर यौन संबंध पर दो डॉलर का टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, इसे कभी लागू नहीं किया गया। लेकिन 2004 में जर्मनी में टैक्स कानून के तहत हर वेश्या को हर महीने 150 यूरो का टैक्स देना होता है। जर्मनी में वेश्यावृत्ति वैध है, लेकिन इसके लिए सेक्स टैक्स जैसे कानून बनाए गए हैं। बॉन में वेश्याओं को हर दिन के काम के लिए 6 यूरो देने पड़ते हैं। देश को सेक्स टैक्स से सालाना 1 मिलियन यूरो की कमाई होती है।

पेशाब जैसी चीजों पर भी लग चुका है टैक्स

प्राचीन रोम में मूत्र को बहुत महंगी चीज माना जाता था। इसका इस्तेमाल कपड़े धोने और दांत साफ करने के लिए किया जाता था। इसकी वजह यह थी कि इसमें अमोनिया होता था। रोमन राजा वेस्पासियन ने सार्वजनिक मूत्रालयों से मूत्र के वितरण पर कर लगाने की व्यवस्था की थी। जब उनके बेटे टाइटस ने इस नीति पर सवाल उठाया, तो वेस्पासियन ने उनकी नाक पर सिक्का रखकर कहा, ‘पैसे से बदबू नहीं आती।’

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टोपियों पर टैक्स

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विलियम पिट ने 1784 में पुरुषों की टोपियों पर टैक्स लगाया था। सभी टोपियों के अंदर की परत पर एक मोहर लगी होती थी। इसके अलावा, न्यूजीलैंड में किसानों को मवेशियों की डकार पर टैक्स देना पड़ता था। ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार ग्रीनहाउस गैसों की समस्या से निपटने के लिए न्यूजीलैंड ने यह कदम उठाया था। मवेशियों की डकार पर किसानों से यह कर वसूला जाएगा। फ्रांस में 14वीं सदी के मध्य में नमक पर कर लगाया गया था। लोगों ने इसका विरोध किया और इसने फ्रांसीसी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आखिरकार दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1945 में इस कर को खत्म कर दिया गया। इसके अलावा, जब भारत में अंग्रेजों का राज चलता था तब भारत में भी अंग्रेजों ने नमक पर कर लगाया था। 

महिलाओं को स्तन ढकने पर भी लगता था टैक्स

19वीं सदी में केरल के त्रावणकोर के राजा ने तथाकथित निचली जाति की महिलाओं के स्तन ढकने पर कर लगाया था। इनमें एझावा, थिया, नादर और दलित समुदाय की महिलाएं शामिल थीं। इन महिलाओं को अपने स्तन ढकने की अनुमति नहीं थी। ऐसा करने पर उन्हें भारी कर देना पड़ता था। आखिरकार त्रावणकोर की महिलाओं को नंगेली नाम की एक महिला की वजह से इस कर से मुक्ति मिल गई। नंगेली ने यह कर देने से इनकार कर दिया। जब एक कर निरीक्षक उसके घर आया तो नांगेली ने कर देने से इनकार कर दिया। इस कर के विरोध में उसने अपने स्तन काट लिए। अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उसकी मृत्यु हो गई और इसके साथ ही राजा को यह कर समाप्त करना पड़ा।

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