India News (इंडिया न्यूज), Azerbaijan Armenia War: आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच लंबे समय से चल रहा संघर्ष अब खत्म होने की कगार पर है। करीब चार दशक बाद दोनों देश शांति समझौते पर राजी हुए हैं। लेकिन इस बीच अजरबैजानी मीडिया का दावा है कि आर्मेनिया सीमा क्षेत्र में हथियार तैनात कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्मेनिया अजरबैजान की नखचिवन सीमा पर भारत से खरीदे गए आक्रामक हथियार तैनात कर रहा है। वीडियो में पहाड़ी की चोटी पर कुछ बंकर दिखाई दे रहे हैं। इस पर न तो अजरबैजान और न ही आर्मेनिया ने कोई बयान दिया है, लेकिन अजरबैजान मीडिया इससे भड़क गया है।
आर्मेनिया ने भारत से खरीदे कई हथियार
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अजरबैजान के न्यूज आउटलेट oxu.az ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक कहा कि आर्मेनिया युद्ध की तैयारी कर रहा है। अजरबैजान के टीवी चैनल ITV की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि आर्मेनिया सीमा पर चौकियां बना रहा है। किलेबंदी का काम चल रहा है। बताते चलें कि अजरबैजान और आर्मेनिया दोनों ने कई युद्ध लड़े हैं। 2022 से लेकर अब तक आर्मेनिया ने भारत से कई हथियार खरीदे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें 214 एमएम पिनाका मल्टी-रॉकेट लॉन्चर, एंटी टैंक मिसाइल, मोर्टार और ग्रेनेड जैसे दूसरे छोटे हथियार शामिल हैं। आर्टिलरी सिस्टम, एंटी ड्रोन सिस्टम और आकाश डिफेंस सिस्टम भी शामिल हैं।
सितंबर 2022 में दोनों देशों में देखने को मिला था टकराव
सितंबर 2022 में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच टकराव देखने को मिला था। तब आर्मेनिया रूस से हथियार खरीदता था। लेकिन बाद में आर्मेनिया को लगा कि हथियार खरीदने के लिए दूसरे देशों से भी संपर्क करना चाहिए। भारत ही नहीं, आर्मेनिया ने फ्रांस से भी हथियार खरीदने का सौदा किया। बख्तरबंद गाड़ियों, रडार, नाइट विजन गॉगल्स, स्नाइपर राइफल और शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम से जुड़े सौदे किए गए। इससे नाराज अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव पिछले साल भारत और फ्रांस पर भड़क गए थे। अजरबैजान के पीएम ने अप्रैल में कहा था, ‘जब फ्रांस, भारत और ग्रीस हमारे खिलाफ आर्मेनिया को हथियार दे रहे हैं, तो हम चुप नहीं बैठ सकते।’
शांति के लिए तैयार हुए दोनों देश
दोनों पड़ोसी देश नागोर्नो-काराबाख के इलाके को लेकर लड़ रहे हैं। यह काकेशस पर्वतों में एक अलग क्षेत्र है, जहां लगभग 120,000 जातीय अर्मेनियाई लोग रहते थे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे अज़रबैजान का हिस्सा माना जाता है, लेकिन दशकों से यह अर्मेनियाई अलगाववादियों के नियंत्रण में है। दोनों देशों की लंबी शांति प्रक्रिया को गुरुवार को सफलता मिली। आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है। अज़रबैजान ने शांति वार्ता की सफलता की पुष्टि की है।