India News (इंडिया न्यूज), Syria Civil War : राजधानी दमिश्क में विद्रोहियों के कब्जे से पहले ही सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सालों पुरानी सत्ता को उखाड़ फैका है। फिलहाल के लिए राजधानी दमिश्क और आसपास के बड़े शहरों पर विद्रोहियों का कब्जा है। लेकिन इसके बावजुद विद्रोहियों की नफरत कम होने का नाम नहीं ले रही है। खबरों के मुताबिक बुधवार 11 दिसंबर को विद्रोहियों ने बशर अल-असद के पिता हाफिज अल-असद की कब्र को आग के हवाले कर दिया है। इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही हैं। जिसमें धधकती ताबूत पर खड़े कुछ विद्रोही नजर आ रहे हैं। हाफिज अल-असद की कब्र पश्चिमी सीरियाई प्रांत लताकिया में बनाई गई थी।
‘सीरिया में उम्मीद के संकेत दिखाई दे रहे हैं’
सीरिया में सत्ता को लेकर हो रही उठा पठक के बीच संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस का रिऐक्शन भी सामने आया है। अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान गुटेरेस ने कहा कि, विद्रोही बलों की ओर से राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के बाद सीरिया में उम्मीद के संकेत दिखाई दे रहे हैं। सीरियाई तानाशाह के अंत के बाद हम मिडिल ईस्ट को फिर से आकार लेते हुए देख रहे हैं। हम आशा के संकेत को दिखाई दे रहे हैं।
हाफिज अल असद की कब्र पर लगाई आग
न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार विद्रोहियों ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के पिता हाफिज अल असद की कब्र को उनके गृहनगर कर्दाहा में आग लगा दी। वहीं सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स युद्ध निगरानीकर्ता के मुताबिक विद्रोहियों ने असद के अलावी समुदाय के लताकिया गढ़ में स्थित मकबरे के कुछ हिस्सों में भी आग लगा दी और उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक लताकिया गढ़ में एक पहाड़ी के ऊपर एक बड़ी संरचना में कई कब्रें बनाई गई हैं। इनमें बशर के भाई बैसेल की भी कब्र शामिल है। बैसेल की 1994 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।
जान बचाकर रूस पहुंचे असद
विद्रोहियों की ओर से दमिश्क पर कब्जा करने के पहले ही सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर-अल-असद देश छोड़ कर भाग गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक असद परिवार ने रूस में शरण ली हुई है। वहीं सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल जलाली का कहना है कि वह विपक्ष के साथ सहयोग करने और शासन सौंपने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा विद्रोहियों में असद शासन को लेकर काफी गुस्सा है। हयात तहरीर अल शाम के नेता अबू मोहम्मद अल गोलानी ने कहा कि नया शासन उन व्यक्तियों को माफ नहीं करेगा, जिन्होंने बंदियों को प्रताड़ित किया और उनकी हत्या में शामिल रहे।