India News (इंडिया न्यूज),Bangladesh:बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अब देश को संभालने में सक्षम नहीं हैं। बांग्लादेश में हिंसा, चोरी और अल्पसंख्यक विरोधी घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के कारण यूनुस पर गाज गिर गई है। हालात अब इतने खराब हो गए हैं कि उनके लिए इसे संभालना मुश्किल हो गया है और वे इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति न होने के कारण काम करना मुश्किल हो रहा है।
बीबीसी बांग्ला ने गुरुवार रात छात्र नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (सीपी) के प्रमुख नाहिद इस्लाम से बात की, जिसमें उन्होंने कहा, “हम आज सुबह से सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर से मिलने गया… उन्होंने कहा कि वे इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वे काम नहीं कर सकते।”
किस बात से डर रहे हैं यूनुस
एनसीपी संयोजक ने कहा कि मुख्य सलाहकार यूनुस को डर है कि देश के मौजूदा हालात में वे काम नहीं कर पाएंगे। यूनुस का मानना है कि जब तक राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति नहीं बनती, वे काम नहीं कर पाएंगे। इस साल फरवरी में यूनुस के आशीर्वाद से उभरे एनसीपी नेता ने कहा कि उन्होंने यूनुस से कहा कि वे “देश की सुरक्षा और भविष्य के लिए मजबूत बने रहें और जन आंदोलन की उम्मीदों पर खरा उतरें।”
चुनाव से पहले ही अराजकता शुरू
बांग्लादेश में चुनाव से पहले ही अराजकता शुरू हो गई है। छात्र आंदोलन में शामिल छात्रों की पार्टी मानी जाने वाली एनसीपी विरोध कर रही है और चुनाव आयोग पर बीएनपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया जा रहा है। बीएनपी लंबे समय से दिसंबर तक चुनाव कराने पर जोर दे रही है। साथ ही, कल उसने एक छोटी सलाहकार परिषद की मांग की, जिसमें महफूज, आसिफ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान को तत्काल हटाने की मांग की।
चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
एनसीपी नेताओं ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि वे मौजूदा चुनाव आयोग के तहत किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उसे बीएनपी का ‘पार्टी कार्यालय’ बताया। हालांकि, नाहिद इस्लाम ने कहा कि उन्होंने यूनुस को समझाया है और कहा है कि वे अगस्त क्रांति और उसके सपने को न भूलें। उन्होंने यह भी कहा कि देश की जनता उनके साथ है। अब देखना यह है कि क्या यूनुस इस मुश्किल वक्त में देश को संभाल पाते हैं या फिर अपने पद से हट जाएंगे।