India News (इंडिया न्यूज),UN:संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मुस्लिम देशों को बड़ा झटका लगा है। मुस्लिम देश को आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को भारत समेत जी-4 देशों ने खारिज कर दिया है।आरक्षण को लेकर भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान समेत जी-4 ने कहा है कि धार्मिक आधार पर स्थायी सदस्यता देने का कोई भी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के नियमों के खिलाफ है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की लंबे समय से मांग हो रही है। जी-4 देशों ने तुर्की, पाकिस्तान और सऊदी के इस्लामी सपने को चकनाचूर कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हारिस ने मंगलवार को जी-4 देशों की ओर से कहा कि धार्मिक आधार पर सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधित्व स्वीकार्य नहीं है।
धार्मिक पहलू से सुधारों की प्रक्रिया और जटिल
भारतीय प्रतिनिधि ने इस्लामी दुनिया का खलीफा बनने का सपना देख रहे तुर्की या उसके राष्ट्रपति एर्दोगान का नाम नहीं लिया। दोनों ने मांग की थी कि ‘इस्लामिक उम्माह’ को भी सुरक्षा परिषद की सभी श्रेणियों में सदस्यता दी जानी चाहिए। हारिस ने कहा कि को लाने से सुरक्षा परिषद के भीतर सुधारों की प्रक्रिया और जटिल हो जाएगी।
‘क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को कमजोर करेगा मुस्लिम आरक्षण’
हरीश ने यह बयान जी4 देशों की ओर से संयुक्त राष्ट्र के भीतर सुधारों पर अंतर-सरकारी वार्ता के दौरान दिया। भारत के प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने जोर देकर कहा कि मुस्लिम आरक्षण क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को कमजोर करेगा जिसे संयुक्त राष्ट्र ने स्वीकार किया है। तुर्की के ओटोमन साम्राज्य को वापस लाने की कोशिश कर रहे एर्दोगान ने पिछले महीने एक इफ्तार पार्टी में कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अंदर वीटो पावर वाले इस्लामिक देश का होना न केवल एक आवश्यकता है बल्कि एक दायित्व भी है।”
सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए जी4 का प्रस्ताव
जी4 देशों का यह समूह सकारात्मक और आशावादी सोच और सुधार समर्थक देशों का समूह है जो कई वर्षों से सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रहा है। हरीश ने कहा कि जी4 एक सिफारिशी समूह है जो सार्थक सुधार के लिए काम कर रहा है और इस बारे में कोई विशेष सुझाव नहीं देता है कि किसे स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए। जी4 ने इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा पर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि महासभा को लोकतांत्रिक आधार पर सुरक्षा परिषद में सुधार करना चाहिए और एक नया स्थायी सदस्य शामिल करना चाहिए।
हरीश ने यह भी कहा कि जी4 देशों का मानना है कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। भारत ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या 15 से बढ़ाकर 25 या 26 की जानी चाहिए। जी4 के प्रस्ताव के अनुसार सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या 5 से बढ़ाकर 11 की जानी चाहिए, जबकि अस्थायी सदस्यों की संख्या 10 से बढ़ाकर 14 या 15 की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 6 नए स्थायी सदस्यों में एशिया-प्रशांत, लैटिन अमेरिका, कैरेबियाई देशों और पूर्वी यूरोप को एक-एक सीट दी जानी चाहिए। वहीं, अफ्रीका को कम से कम एक या दो सीटें दी जानी चाहिए।
भारतीय प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद में सुधार का विरोध कर रहे पाकिस्तान को भी कड़ी फटकार लगाई। पाकिस्तान स्थायी सदस्यता का विरोध इसलिए कर रहा है ताकि भारत को रोका जा सके। पाकिस्तान इस्लामिक उम्माह को भड़काने का भी काम कर रहा है। यदि धर्म के आधार पर देखा जाए तो चीन जहां आंशिक रूप से वामपंथी देश है, वहीं शेष 4 स्थायी सदस्य ईसाई बहुल देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस हैं।
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