India News (इंडिया न्यूज), Modi Jinping Meeting: रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। हम आपको बतातें चलें कि, 2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली द्विपक्षीय बैठक थी। कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हमेशा प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच पुल की तरह नजर आए। भारत और चीन के बीच रिश्ते में मधुरता आती हुई दिख रही है। हालांकि ये पहल चीन की तरफ से देखने को ज्यादा मिल रही है। क्या पीएम मोदी की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से चीन भारत के सामने झुका है या कुछ और वजह है आज हम यही जानने की कोशिश करेंगे।

दोनों देशों के बीच वार्ता के पीछे हैं 5 शख्सियत

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, पिछले साल 2023 में जब ब्रिक्स देशों का सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका में हुआ था, तब पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक दूसरे से हाथ मिलाया था। लेकिन सीमा पर तनाव के कारण उनके बीच कोई द्विपक्षीय मुलाकात नहीं हुई थी। इससे पहले जब साल 2022 में इंडोनेशिया के बाली में ‘जी-20’ की बैठक हुई थी, तब भी पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कोई औपचारिक द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई थी। अब रूस के कजान में चीनी राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई है। इसके पीछे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीनी विदेश मंत्री वांग यी, भारतीय NSA अजीत डोभाल और दिल्ली में चीन के नए राजदूत की अहम भूमिका सामने आ रही है। 

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रूसी राष्ट्रपति ने चीन पर डाला दबाव

जानकारी के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन पर दबाव डाला। पिछले कुछ महीनों में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच कई बैठकें हुईं हैं। इन बैठकों में मोदी-जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता को लेकर अंतिम फैसला लिया गया। इसके अलावा एनएसए अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री के साथ मोदी और जिनपिंग की बातचीत की योजना बनाई। भारत में नए चीनी राजदूत ने दोनों देशों के बीच कड़वाहट को कम करने का माहौल बनाने के लिए कई बार भारत की तारीफ की। चीनी मीडिया में भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक कूटनीति की भी तारीफ की गई।

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