India News (इंडिया न्यूज),CPJ Annual Report 2024: पत्रकारों के लिए साल 2024 सबसे खूनी साल रहा है। सीपीजे की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल संघर्षों में कम से कम 124 पत्रकार मारे गए, जिनमें से 75 फीसदी अकेले इजरायली हमलों में मारे गए। सीपीजे के मुताबिक 2014 में 2023 के मुकाबले 22 फीसदी ज्यादा पत्रकारों की मौत हुई, यह आंकड़ा दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय संघर्ष, राजनीतिक अशांति और अपराध के बढ़ते स्तर को दर्शाता है।

18 देशों में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की हत्या

सीपीजे 30 साल से पत्रकारों के खिलाफ घटनाओं का डेटा जुटा रहा है, जिसमें यह साल सबसे ज्यादा जानलेवा रहा। सीपीजे की रिपोर्ट में बताया गया है कि 18 देशों में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की हत्या हुई है। सीपीजे के मुताबिक गाजा युद्ध में कुल 85 पत्रकार मारे गए और सभी इजरायली सेना की गोलाबारी में मारे गए, इसमें यह भी बताया गया है कि 85 में से 82 मीडियाकर्मी फिलिस्तीनी थे।

पाकिस्तान में भी मारे गए पत्रकार

पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की हत्या के मामले में दूसरे नंबर पर सूडान और पाकिस्तान हैं, जहां छह पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए हैं। इसके बाद पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक माने जाने वाले मैक्सिको में पांच पत्रकारों की हत्या की गई है।

भारत का हाल ?

वहीं, हिंसाग्रस्त देश हैती में भी दो पत्रकारों की हत्या की गई है। इसके अलावा रिपोर्ट में म्यांमार, मोजाम्बिक, भारत और इराक में अन्य मौतों की जानकारी दी गई है, साथ ही साल 2024 को पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक बताया गया है। 2025 में भी पत्रकार सुरक्षित नहीं सीपीजे ने 1992 से पत्रकारों की मौतों पर नजर रखी है और 2024 की रिपोर्ट में बताया गया कि 24 पत्रकारों को उनके काम के परिणामस्वरूप जानबूझकर मार दिया गया।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि संसाधनों की कमी के कारण फ्रीलांसर सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं, 2024 में 43 लोगों की मौत होगी। सीपीजे के मुताबिक, नया साल 2025 भी मीडियाकर्मियों के लिए बहुत अच्छा नहीं लग रहा है, क्योंकि पिछले हफ्ते ही 6 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है।

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