India News (इंडिया न्यूज), Putin Unveil BRICS Currency Note: कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के झंडों वाले एक प्रतीकात्मक बैंक नोट का अनावरण किया गया, जिससे अमेरिकी डॉलर के विकल्प बनाने तथा अधिक स्वतंत्र आर्थिक प्रणाली को बढ़ावा देने पर चर्चा शुरू हो गई। शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नई ब्रिक्स मुद्रा जारी कर दी है। ब्रिक्स मुद्रा जारी करने के पीछे का उद्देश्य अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करना है। इसके अलावा डी-डॉलराइजेशन के विचार को भी आगे बढ़ाना उद्देश्य है।

मुद्रा पर हर देश के का ऐतिहासिक इमारत है

समिट में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा दिखाए गए प्रतीकात्मक नोट में हर देश की ऐतिहासिक इमारत को जगह मिली है। ब्रिक्स देश के सभी देशों के झंडे इसमें दिखाई दे रहे है। अभी उपलब्ध जानकारी के अनुसार, नोट को केवल प्रतीकात्मक माना गया है, जिसका मतलब है कि न तो ब्रिक्स देशों ने इस नोट को स्वीकार किया है और न ही ब्रिक्स देशों के अंतिम करेंसी नोट पर अपनी मुहर लगाई है।

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डी-डॉलराइजेशन का क्या मतलब है?

अगर भारत सऊदी अरब से कच्चा तेल खरीदता है, तो वह अमेरिकी डॉलर में भुगतान करता है। जबकि भारत की अपनी मुद्रा रुपया है और सऊदी अरब की अपनी मुद्रा सऊदी रियाल है। दुनिया के ज़्यादातर देश अमेरिकी मुद्रा में व्यापार करते हैं। इसकी शुरुआत 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी। उस समय अमेरिकी मुद्रा स्थिर थी और इसे देखते हुए लगभग सभी देशों ने निर्णय लिया कि अब से वे एक दूसरे के साथ अमेरिकी डॉलर में व्यापार करेंगे।

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