India News (इंडिया न्यूज), US Iran Nuclear Deal : इस वक्त दुनिया के हर कोने में जंग चल रही है और कहीं पर जंग जैसे हालात बने हुए हैं। कुछ दिन पहले भारत-पाकिस्तान के बीच भी चार दिनों तक सैन्य संघर्ष चला था। इस टकराव से पुरी दुनिया में हड़कंप मच गया था। बुरी तरह से पीटने के बाद पाक ने सीजफायर का आग्रह किया था। अगर दोनों देशों के बीच जंग कुछ दिन और खिच जाती तो दुनिया पहले न्यूक्लियर युद्ध की गवाह बन जाती।
अब इसी न्यूक्लियर हथियार की वजह से ईरान युद्ध की दहलीज पर खड़ा हुआ है। उसके परमाणु प्रोग्राम की वजह से एक तरफ अमेरिका तो दूसरी तरफ इजरायल भड़के हुए हैं। ईरान बहुत अच्छे से जानता है कि ये दोनों देश किसी भी हाल में उसे परमाणु सम्पन्न देश नहीं बनने देंगे और इसे रोकने के लिए वो उस पर हमला भी कर सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए तेहरान ने चीन के साथ बड़ी डील की है।
चीन और ईरान के बीच बड़ी डील
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान ने चीन से मिसाइल का डिजाइन तैयार करवाया है। इसके तहत चीन ने ईरान को हजारों टन मिसाइल बनाने का ऑर्डर दिया है। इसमें अमोनियम परक्लोरेट (अमोनियम परक्लोरेट) भी शामिल है ताकि वह बड़े पैमाने पर बैलिस्टिक मिसाइलों पर प्रतिबंध लगा सके। ईरान इस जंगल से 800 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल तैयार कर रहा है।
इसके साथ ही अक्टूबर 2023 में ईरान में इजरायल के हमलों में 12 प्लैनेटरी मिक्सर नष्ट हो चुके हैं। इससे पहले फरवरी और मार्च में तेहरान जलडमरूमध्य से 260 छोटी दूरी की मिसाइलों की खेप भेजी गई थी। लेकिन अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम से खुश नहीं है। 2022 में अमेरिका ने ओमान की खाड़ी से ईरान जा रहा 70 टन का परमाणु बम जब्त किया था।
परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान-अमेरिका आमने सामने
अमेरिका शुरू से ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बहुत सख्त रहा है। वाशिंगटन ने साफ कहा है कि ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। ट्रंप ने भी साफ कर दिया है कि ईरान को कभी भी परमाणु बम विकसित करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
लेकिन कुछ समय पहले अमेरिका ने तेहरान को एक नया प्रस्ताव दिया है, जिसमें ईरान को सीमित स्तर पर यूरेनियम संवर्धन की इजाजत दी गई है, लेकिन केवल परमाणु ऊर्जा जैसे नागरिक उपयोग के लिए, बशर्ते वह अपनी भूमिगत संवर्धन सुविधाएं बंद कर दे और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की सख्त निगरानी को स्वीकार करे। हालांकि, ईरान ने मांग की है कि परमाणु कार्यक्रम से जुड़े प्रतिबंधों को हटाया जाए।
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