India News (इंडिया न्यूज), Thorium Based Nuclear Reactor : इस समय चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर चल रहा है। दोनों देश एक-दूसरे के सामान पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं। लेकिन इसके अलावा चीन ने कुछ ऐसा किया है, जिसने अमेरिका समेत पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है।
दरअसल, चीन ने दुनिया का पहला थोरियम आधारित परमाणु रिएक्टर बनाने में सफलता हासिल कर ली है। थोरियम आधारित परमाणु रिएक्टर की अवधारणा वैसे तो नई नहीं है, लेकिन इसे जमीन पर उतारने वाला चीन पहला देश बन गया है। चीन ने यह रिएक्टर गांसु प्रांत के वुई शहर में गोबी रेगिस्तान में लगाया है।
2011 में की थी चीन ने शुरूआत
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें दो मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है। चीन ने इस रिएक्टर पर अक्टूबर 2023 में काम शुरू किया था। परमाणु विज्ञान के लिहाज से यह एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि थोरियम रिएक्टर से बड़े पैमाने पर बिजली पैदा करने में अभी समय लगेगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, चीन ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2011 में की थी और इस पर 444 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। आपको बता दें कि थोरियम रिएक्टर यूरेनियम की तुलना में कम रेडियोधर्मी कचरा पैदा करते हैं और अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जाते हैं। इसका दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि थोरियम से परमाणु हथियार बनाना मुश्किल है।
भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा थोरियम भंडार
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा थोरियम भंडार है। थोरियम एक ऐसा पदार्थ है जो अपने आप में परमाणु ईंधन नहीं है। लेकिन, इसे यूरेनियम-233 में बदला जा सकता है। इस यूरेनियम-233 का इस्तेमाल परमाणु रिएक्टरों में किया जाता है। हालांकि, इसे यूरेनियम-233 में बदलने की प्रक्रिया जटिल और महंगी है। इसका इस्तेमाल करके भारत परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है।
भारत में थोरियम का इस्तेमाल सबसे पहले 1950 के दशक में डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने शुरू किया था। उन्होंने भारत के सीमित यूरेनियम भंडार और विशाल थोरियम भंडार को देखते हुए इस रणनीति पर चलने की योजना बनाई। भाभा परमाणु अनुसंधान और अन्य संस्थानों ने थोरियम ईंधन पर काफी शोध किया। यह काफी सफल रहा। भारत ने भी प्रयोग के तौर पर थोरियम आधारित रिएक्टर लगाया है।
क्या है भारत-चीन की योजना?
दुनिया के कई देश थोरियम आधारित रिएक्टर पर काम कर रहे हैं। चीन अब एक बड़े थोरियम रिएक्टर पर काम कर रहा है। वह 2030 तक 10 मेगावाट का बड़ा थोरियम रिएक्टर लगाने की योजना पर काम कर रहा है। भारत का लक्ष्य 2050 तक अपनी बिजली का 30 प्रतिशत हिस्सा थोरियम आधारित रिएक्टरों से पैदा करना है।
अगर थोरियम आधारित रिएक्टर सफल होते हैं तो भारत ऊर्जा के क्षेत्र में महाशक्ति बन सकता है, क्योंकि हमारे पास दुनिया का 25 प्रतिशत थोरियम है। इसी तरह कनाडा, नॉर्वे, जापान, डेनमार्क और नीदरलैंड जैसे देशों ने प्रयोग के तौर पर थोरियम रिएक्टर बनाए। लेकिन, इस दिशा में भारत और चीन सबसे आगे हैं।
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