India News (इंडिया न्यूज),Indus Water Treaty:पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित कर दिया है। मोदी सरकार के इस फैसले से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और लगातार भारत को पानी के बहाव में दखल न देने की धमकी दे रहा है। इस बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ तनाव के समय भारत को चीन से सतर्क रहना चाहिए। खास तौर पर तब, जब दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर कोई संधि नहीं है। नदी विशेषज्ञ प्रोफेसर नयन शर्मा ने यह चेतावनी दी है।

भारत को सतर्क रहने की जरूरत

शर्मा ने भारत को चीन से सतर्क रहने को कहा है, क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से पर होने के कारण वह ड्राइविंग सीट पर है और इसका पानी रोक सकता है। असम ट्रिब्यून को दिए गए साक्षात्कार में प्रोफेसर शर्मा ने सुझाव दिया है कि भारत को सभी प्रमुख सहायक नदियों में कई जल भंडारण संरचनाओं (बांधों) का सक्रिय रूप से निर्माण करना चाहिए। भले ही चीन किसी दिन ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को रोकने का फैसला कर ले।

मुश्किल में पड़ सकता है भारत

शर्मा ने कहा कि सिंधु जल संधि के विपरीत, चीन के मामले में हम निचले तटवर्ती देश हैं, जो एक बहुत ही नुकसानदेह स्थिति है। चीन अपनी ओर से ब्रह्मपुत्र नदी के ग्रेट बेंड कैन्यन की खड़ी ढलान पर एक सुपर मेगा बांध बनाने जा रहा है। 137 अरब डॉलर की लागत से बनने जा रही इस परियोजना से 60,0000 मेगावाट पनबिजली पैदा करने की योजना है।

नदी के प्रवाह को मोड़ सकता है चीन

शर्मा ने कहा, हालांकि चीनी इसे पनबिजली परियोजना कहते हैं, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि चीन एकतरफा तरीके से नदी के प्रवाह को मोड़ सकता है, जिससे भारत के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। शर्मा ने कहा कि अगर चीन ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को रोक देता है, तो भारत को गर्मियों में पानी के लिए बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

जल बंटवारे की कोई संधि नहीं

यहां स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि भारत और चीन के बीच जल बंटवारे की कोई संधि नहीं है। ग्रेट बेंट कैन्यन में चीनी सुपर मेगा बांध के कारण यह तस्वीर कई गुना बदतर हो जाती है। चीन के साथ किसी जल समझौते की संभावना पर प्रोफेसर शर्मा ने इसे बहुत मुश्किल बताया और कहा कि बीजिंग के इस पर सहमत होने की संभावना नहीं है।

इस तरह खुद को मुश्किल से निकाल सकता है भारत

प्रोफेसर नयन शर्मा ने कहा कि सबसे प्राथमिकता वाला उपाय यह है कि ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों पर युद्ध स्तर पर तुरंत मध्यम से कम ऊंचाई वाली कई जल भंडारण संरचनाएं बनाई जाएं ताकि बरसात के मौसम में पानी को संग्रहित किया जा सके। कम पानी वाले मौसम में इसका इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर भारत ऐसा करने में सक्षम होता है तो वह ब्रह्मपुत्र का पानी रोकने की चीन की किसी भी कोशिश से खुद को बचा सकेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह कोई बहुत बड़ा मेगा बांध बनाने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि ब्रह्मपुत्र की 100 से अधिक सहायक नदियों पर छोटे-छोटे भंडारण बांध बनाने की बात कर रहे हैं।

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