India News (इंडिया न्यूज),China Taiwan Tension: चीन आए दिन ताइवान को धमकाता रहता है। कभी उसकी सीमा में घुस जाता है तो कभी लड़ाकू विमान को भेज देता है। ड्रैगन ये सब ताइवान को डराने और उस पर कब्जा करने के लिए करता है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। यही वजह है कि वो उसकी आजादी के खिलाफ है। लेकिन अब चीन के लिए ताइवान को बार-बार डराना इतना आसान नहीं रहेगा। अमेरिका अब सुरक्षा के तौर पर ताइवान के पीछे खड़ा हो गया है। अमेरिका का वो ताकतवर हथियार ताइवान के पास आ रहा है, जिसे देखकर ड्रैगन की नींद उड़ जाएगी। चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने ताइवान को अपना खास हथियार दे दिया है। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार ताइवान को अमेरिका के अब्राम टैंक मिल ही गया।
ताइवान का परछाई बनकर पीछे खड़ा रहेगा अमेरिका
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के मुताबिक, ताइवान को अमेरिका से बहुप्रतीक्षित M1A2T अब्राम मेन बैटल टैंक की पहली खेप इस साल के अंत तक मिल जाएगी। ये जानकारी खुद ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने दी है। इन 108 लड़ाकू अब्राम टैंक की बिक्री को 2019 में मंजूरी मिली थी। ताइवान किसी भी तरह के हमले से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को पुख्ता करना चाहता था। यही वजह है कि ताइवान अमेरिका से अब्राम्स टैंक ले रहा है, ताकि चीन उसे बार-बार डरा न सके और उस पर हमला करने की धमकी न दे। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक यानी दिसंबर में ताइवान को 38 टैंकों की पहली खेप मिल जाएगी।
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ताइवान के लिए सबसे बड़ा सैन्य सहायता पैकेज
बता दें कि, ताइवान को टैंक दिए जाने की खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ताइवान के लिए 567 मिलियन डॉलर की रक्षा सहायता को मंजूरी दी है। अमेरिका ने प्रेसिडेंशियल ड्रॉडाउन अथॉरिटी के तहत ताइवान के लिए अब तक का सबसे बड़ा सैन्य सहायता पैकेज घोषित किया है। अमेरिका का कहना है कि ताइवान को बचाने के लिए यह जरूरी था। यह पैकेज पिछले साल दिए गए 345 मिलियन डॉलर से करीब दोगुना है। अमेरिका के इस ऐलान से चीन भड़क गया है। इस तरह अमेरिका ताइवान को मजबूत कर रहा है और इसी वजह से चीन को मिर्ची लग रही है।
अमेरिकी पैकेज के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि इसमें हथियारों का जखीरा, कवच भेदी हथियार, एयर डिफेंस सिस्टम और मल्टी-डोमेन उपकरण शामिल होंगे। इस पैकेज में ड्रोन भी शामिल होंगे। ये ड्रैगन की बड़ी सेना के खिलाफ इस्तेमाल के लिए कारगर साबित होंगे। हालाँकि, चीन ने इस कदम पर अपनी असहमति व्यक्त की है।