इंडिया न्यूज़: (Taiwan China Conflict) ताइवान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को दावा किया कि चीन ने बुधवार सुबह द्वीप राष्ट्र की तरफ से 25 लड़ाकू विमान और तीन युद्धपोत भेजे है। बता दें कि मंत्रालय ने कहा कि 25 में से 19 विमान ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में घुस गए, जबकि जहाजों की आवाजाही ताइवान स्ट्रेट में जारी थी। इस मामले में ताइवान का दावा है कि उसने लड़ाकू विमानों को खदेड़ने, जहाज भेजने और तटीय मिसाइल रक्षा प्रणालियों को ‘निगरानी करने और जवाब देने’ के लिए सक्रिय किया। ताइवान के सबसे बड़े समर्थक अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर तनाव चल रहा है।

  • चीन ने 25 लड़ाकू विमान और 3 युद्धपोत भेजे
  • चीन का मकसद डराना और ताइवान के उपकरणों का इस्तेमाल कराना
  • चीन द्वीप राष्ट्र पर करना चाह रहा है नियंत्रण

 

चीन का मकसद ताइवान को डराना

जानकारी के अनुसार, चीन इस तरह की घटनाओं को नियमित रूप से अंजाम देता है, जिसे ‘ग्रे जोन’ रणनीति कहा जाता है। इसका मकसद डराना और ताइवान के उपकरणों का बेवजह इस्तेमाल कराना और सार्वजनिक रूप से उनका मनोबल तोड़ना है। ताइवान ने एफ-16 लड़ाकू विमान के अपने बेड़े को उन्नत करके, अमेरिका को 66 और विमान का ऑर्डर देकर, अन्य हथियारों की एक श्रृंखला की खरीद करते हुए और सभी पुरुषों के लिए सैन्य सेवा की अपनी अनिवार्य अवधि को रचार महीने से एक साल तक बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई के लिए खुद को तैयार किया है।

चीन इस द्वीप पर करना चाहता है कब्जा

आपको बता दें कि चीन का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है और वो विदेशी अधिकारियों की ताइवान यात्रा का विरोध करता है। चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हैं। लेकिन ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना खुद का संविधान है। इसके अलावा ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है।