India News (इंडिया न्यूज), COP-28 Summit: भारत ने रविवार को जलवायु और स्वास्थ्य को लेकर COP-28 घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं किया। जानकारी के मुताबिक, इसके पीछे का कारण दस्तावेज में स्वास्थ्य क्षेत्र में शीतलन के लिए ग्रीनहाउस गैस के उपयोग पर अंकुश लगाने की शर्त बताई जा रही है। जिसके चलते भारत ने इसपर हस्ताक्षर करने से परहेज किया।

इस घोषणापत्र में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में गहन, तीव्र और निरंतर कटौती से स्वास्थ्य के लिये लाभ प्राप्त करने के लिए जलवायु कार्रवाई का आह्वान किया गया है। इस घोषणापत्र के तहत उचित बदलाव, कम वायु प्रदूषण, सक्रिय गतिशीलता और स्वस्थ पोषण शामिल है।

अब तक 124 देशों ने किए हस्ताक्षर

बता दें कि रविवार को 28वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में पहले स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर घोषणा पत्र में स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों के बारे में गंभीर चिंता की बात रखी गई। वहीं, इस घोषणा पत्र पर अब तक 124 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। जबकि शीर्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जकों में शामिल अमेरिका और भारत हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची में शामिल नहीं हैं।

इस घोषणापत्र का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर गौर करना है। यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से और पर्याप्त कटौती की आवश्यकता पर जोर देता है। घोषणापत्र का एक बिंदु स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे के भीतर कूलिंग उपकरणों के लिए ग्रीनहाउस गैस के इस्तेमाल को कम करने की प्रतिबद्धता है।

केन्या के प्रतिनिधि ने क्या कहा?

केन्या से आए एक प्रतिनिधि ने इस विषय पर कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों सहित महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों से जूझ रहे देश भारत ने चिंता व्यक्त की है। स्वास्थ्य क्षेत्र में कूलिंग के लिए ग्रीनहाउस गैस में कटौती से चिकित्सा सेवाओं के लिये बढ़ती मांगों को पूरा करने की क्षमता में बाधा आ सकती है।

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