India News (इंडिया न्यूज), Corona Cases in India: भारत हो या अमेरिका, दोनों ही देशों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। भारत में जहां नए मरीज सामने आ रहे हैं, वहीं अमेरिका में कोरोना अब भी हर हफ्ते सैकड़ों लोगों की जान ले रहा है। ऐसा नहीं है कि हालात पहले जितने भयावह हैं, लेकिन यह जरूर साफ हो गया है कि कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। पिछले कुछ हफ्तों से देश के अलग-अलग हिस्सों से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में नोएडा में कोविड के 9 नए मामले सामने आए हैं।
जिसके बाद वहां एक्टिव मरीजों की संख्या 10 हो गई है। सभी मरीज फिलहाल होम आइसोलेशन में हैं। पूरे देश की बात करें तो एक हफ्ते में 1000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। सिर्फ आंकड़े ही नहीं, कोरोना से होने वाली मौतों ने भी एक बार फिर खौफ बढ़ा दिया है। अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, हालांकि यह साफ नहीं है कि उनकी मौत की वजह सिर्फ कोरोना थी या कोई और बीमारी भी वजह बनी। इसी तरह थाईलैंड में भी हालात खराब होते दिख रहे हैं, यहां एक हफ्ते में ही कोरोना के 50 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं।
अमेरिका में एक हफ्ते में 350 मौतें, नया सब-वेरिएंट भी चिंता का सबब
दूसरी तरफ, अमेरिका में कोरोना अब भी लोगों की जान ले रहा है, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, पिछले हफ्ते कोविड-19 की वजह से 350 अमेरिकियों की मौत हुई। यह संख्या पहले से कम है लेकिन चिंता अभी भी बनी हुई है। अमेरिका समेत एशिया, सिंगापुर और हांगकांग में एक नया सब-वेरिएंट NB.1.8.1 फैल रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह वेरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है, हालांकि इसकी गंभीरता को लेकर अभी भी शोध जारी है।
वैक्सीन की कम खुराक और कमजोर इम्युनिटी बन रही है खतरा
अमेरिका में सिर्फ 23% वयस्कों ने अपडेटेड वैक्सीन लगवाई है। बच्चों में यह आंकड़ा और भी कम, सिर्फ 13% है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन न लगवाना और समय के साथ इम्युनिटी का कमजोर होना, दोनों ही इस उछाल का कारण बन रहे हैं। वायरस का असर बुजुर्गों और पहले से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों पर ज्यादा हो रहा है। इसलिए 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को हर छह महीने में वैक्सीन की दो खुराक लेने की सलाह दी गई है।
इलाज में लापरवाही भी जोखिम बढ़ा रही
एक बड़ी वजह यह है कि लोग तब तक इलाज नहीं कराते जब तक हालत खराब न हो जाए। अमेरिका में मोलनुपीराविर (मर्क), पैक्सोविड (फाइजर) जैसी एंटीवायरल गोलियां उपलब्ध हैं, जिन्हें लक्षण दिखने के पांच दिन के भीतर लिया जा सकता है। लेकिन कई लोग इनका सही समय पर इस्तेमाल नहीं करते। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर जांच और दवाओं से गंभीर संक्रमण को रोका जा सकता है।