India News (इंडिया न्यूज), Dalai Lama: दलाई लामा ने कहा है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर पैदा होगा। अपनी नई किताब में यह लिखकर आध्यात्मिक नेता ने बीजिंग के साथ अपने छह दशक पुराने विवाद को और हवा दे दी है, जो हिमालयी क्षेत्र में तिब्बत पर चीन के नियंत्रण के कारण पैदा हुआ था और वे देश छोड़कर भारत आ गए थे।मंगलवार को जारी अपनी किताब ‘वॉयस फॉर वॉयसलेस’ में उन्होंने लिखा है कि दुनिया भर के तिब्बती चाहते हैं कि दलाई लामा नामक संस्था उनके निधन के बाद भी जारी रहे। हालांकि, इससे पहले उन्होंने कहा था कि आध्यात्मिक नेताओं का सिलसिला उनके साथ ही रुक जाएगा। इस किताब में दलाई लामा ने पहली बार खास तौर पर स्पष्ट किया है कि उनका उत्तराधिकारी ‘स्वतंत्र दुनिया’ में जन्म लेगा, जो चीन से बाहर है।
क्या उत्तराधिकारी भारत में जन्म लेंगे?
दलाई लामा ने पहले कहा था कि केवल उनका (दलाई लामा का) ही तिब्बत के बाहर पुनर्जन्म हो सकता है, और संभवतः यह भारत हो सकता है, जहां वे निर्वासन के बाद रह रहे हैं। उन्होंने लिखा, “पुनर्जन्म का उद्देश्य पूर्ववर्ती के कार्य को आगे बढ़ाना है, इसलिए नए दलाई लामा का जन्म मुक्त विश्व में होगा, ताकि दलाई लामा वैश्विक करुणा की आवाज, तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता और तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देने वाले तिब्बती प्रतीक के रूप में अपने पारंपरिक मिशन को आगे बढ़ा सकें।” दलाई लामा 23 वर्ष की आयु में भारत आए थे वर्तमान 14वें दलाई लामा का मूल नाम तेनज़िन ग्यात्सो है और वे 1959 में माओत्से तुंग के वामपंथियों के शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद हजारों तिब्बतियों के साथ 23 वर्ष की आयु में भारत भाग आए थे। वहीं, चीन 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने वाले दलाई लामा को अलगाववादी कहता है।
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चीन का खंडन
इस संबंध में चीन के प्रवक्ता माओ निंग ने मंगलवार को कहा, “दलाई लामा राजनीतिक निर्वासन में हैं, जिन्हें तिब्बती लोगों का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है। जीवित बुद्ध दलाई लामा की वंशावली चीन में स्थापित और विकसित हुई थी और उनकी धार्मिक स्थिति और नाम भी चीनी सरकार द्वारा तय किए गए थे।”