India News (इंडिया न्यूज), Debt On World: दुनिया पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है और इसका आंकड़ा 102 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। यह न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चिंता का विषय भी बन गया है। वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स द्वारा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के हवाले से जारी आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के टॉप कर्जदार देशों की सूची में अमेरिका, चीन और जापान शीर्ष पर हैं। भारत का भी इसमें स्थान है, हालांकि इसका हिस्सा अन्य देशों की तुलना में कम है। आइए इस विषय पर गहराई से नजर डालते हैं।
अमेरिका: सबसे बड़ा कर्जदार देश
वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया पर कुल 102 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज में अमेरिका का हिस्सा सबसे बड़ा है। अमेरिका पर 36 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है, जो वैश्विक कर्ज का 34.6% है। यह आंकड़ा न केवल अमेरिका की आर्थिक स्थिति को चुनौती देता है, बल्कि वैश्विक बाजारों पर भी प्रभाव डालता है।
चीन: दूसरे नंबर पर
चीन, जो कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, कर्ज के मामले में भी दूसरे स्थान पर है। चीन पर कुल 14.69 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है, जो दुनिया के कुल कर्ज का 16.1% है। चीन की आर्थिक प्रगति के बावजूद, यह आंकड़ा उसकी वित्तीय स्थिरता पर सवाल खड़े करता है।
जापान: तीसरे स्थान पर
जापान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कर्जदार देश है। IMF के आंकड़ों के मुताबिक, जापान पर कुल 10.80 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है, जो कि वैश्विक कर्ज का 10% है। यह देश पहले से ही उच्च राष्ट्रीय ऋण-से-जीडीपी अनुपात से जूझ रहा है।
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ब्रिटेन से लेकर इटली तक की स्थिति
टॉप-10 कर्जदार देशों की सूची में ब्रिटेन, फ्रांस और इटली का नाम भी शामिल है। ब्रिटेन पर कुल वैश्विक कर्ज का 3.6%, फ्रांस का 3.5%, और इटली का 3.2% हिस्सा है। ये आंकड़े इन यूरोपीय देशों की वित्तीय चुनौतियों को दर्शाते हैं।
भारत: सातवें स्थान पर
भारत का नाम इस सूची में सातवें स्थान पर आता है। भारत पर दुनिया के कुल कर्ज का 3.2% हिस्सा है। यह अमेरिका के मुकाबले 10 गुना कम है। भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए यह राहत की बात है, लेकिन बढ़ते कर्ज के साथ सतर्कता भी जरूरी है।
अन्य प्रमुख देश
जर्मनी, कनाडा और ब्राजील भी इस सूची में शामिल हैं। इन देशों पर क्रमश: 2.9%, 2.3%, और 1.9% वैश्विक कर्ज है।
GDP के अनुपात में कर्ज का विश्लेषण
हालांकि, यदि GDP के अनुपात में कर्ज का विश्लेषण किया जाए, तो कर्जदार देशों की यह सूची काफी अलग नजर आएगी। कई विकसित देशों का GDP-to-debt अनुपात अत्यधिक है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
दुनिया पर बढ़ते कर्ज का प्रभाव न केवल कर्जदार देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, बल्कि वैश्विक बाजारों और विकासशील देशों की आर्थिक स्थिरता पर भी इसका असर होता है। यह आवश्यक है कि देश वित्तीय अनुशासन बनाए रखें और कर्ज पर नियंत्रण पाने के उपाय करें।
दुनिया पर 102 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज वैश्विक आर्थिक असंतुलन का संकेत है। अमेरिका, चीन और जापान जैसे बड़े देशों के कर्ज के आंकड़े चिंताजनक हैं, जबकि भारत जैसे विकासशील देशों को भी अपने कर्ज को नियंत्रित रखने की आवश्यकता है। वित्तीय स्थिरता और कर्ज प्रबंधन के बिना, वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।
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