India News(इंडिया न्यूज), Ahmadiyya Muslims: पाकिस्तान से एक मस्जिद को रात के अंधेरे में इलाके की बिजली काटकर प्रशासन ने जमींदोज कर दिया। लेकिन क्या आपको पता है, इस समुदाय को पाकिस्तान का कानून मुसलमान ही नहीं मानता है। जी हां हम बात कर रहे अहमदिया समुदाय की। दरअसल, पूरा मामला ये है कि, पंजाब प्रांत के दस्का में प्रशासन ने अहमदिया मुसलमानों की 70 साल पुरानी मस्जिद को गिरा दिया जिसे देश के पहले विदेश मंत्री जफरुल्लाह खान ने बनवाया था। इस मस्जिद को अहमदिया समुदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता था। नोटिस देने के दो दिन बाद गुरुवार को इसे अवैध बताते हुए गिरा दिया गया। प्रशासन का कहना है कि इस मस्जिद की वजह से सड़क पर करीब 13 फीट का अतिक्रमण हो रहा था।
20 से ज्यादा धार्मिक स्थलों को किया गया ध्वस्त
‘डॉन’ के मुताबिक, पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों पर अत्याचार का यह ताजा मामला है। इससे पहले साल 2024 के दौरान अकेले पंजाब प्रांत में अहमदियों के 20 से ज्यादा धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर ध्वस्त किया जा चुका है। समुदाय के लोगों ने निराशा जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार हमें चरमपंथियों से बचाने के बजाय अहमदिया मस्जिदों को गिराने में लगी हुई है। जमात अहमदिया पाकिस्तान के प्रवक्ता आमिर महमूद ने सरकार पर लगातार अहमदिया संपत्ति को निशाना बनाने और उनकी शिकायतों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है।
पाकिस्तान का कानून नहीं मानता मुसलमान
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, पाकिस्तान का कानून अहमदियों को मुसलमान नहीं मानता और सरकार ने 1974 में संविधान संशोधन लाकर अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था। इसके बाद से पाकिस्तान में अहमदियों पर अत्याचार हो रहे हैं और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। पाकिस्तान ही नहीं, भारत में भी अहमदिया समुदाय कट्टरपंथियों के निशाने पर है और मुस्लिम समाज उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
क्यों नहीं मानते मुसलमान?
पंजाब के कादियान में पैदा हुए मिर्जा गुलाम अहमद ने अहमदिया समुदाय की शुरुआत की थी। इस वजह से कई अहमदिया खुद को कादियानी भी कहते हैं। साल 1889 में गुलाम अहमद ने लुधियाना में खुद को खलीफा घोषित कर दिया। इसके बाद कई लोग उनके अनुयायी बन गए और धीरे-धीरे अहमदिया जमात बढ़ती चली गई। यह समुदाय सुन्नी मुसलमानों की एक उपश्रेणी है, जो खुद को मुसलमान तो मानते हैं, लेकिन मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर नहीं मानते।
मिर्जा गुलाम अहमद को मानते हैं गुरु
यह समुदाय मिर्जा गुलाम अहमद को अपना गुरु मानता है और मानता है कि मोहम्मद साहब के बाद वे उनके नबी या संदेशवाहक थे। इस्लाम को मानने वाले पूरी दुनिया के मुसलमान मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर मानते हैं। यही बात अहमदिया लोगों को दूसरे मुसलमानों से अलग बनाती है। पाकिस्तान के मुसलमान उन्हें काफिर मानते हैं। इसके अलावा कई दूसरे मुस्लिम देशों में अहमदिया लोगों को मुसलमान नहीं माना जाता।
हज करने की नहीं है अनुमति
अहमदिया पूरी दुनिया में मुस्लिम आबादी का करीब एक फीसदी हिस्सा हैं, जिनकी कुल संख्या करीब 2 करोड़ मानी जाती है। अकेले पाकिस्तान में करीब 50 लाख अहमदिया मुसलमान रहते हैं। इसके बाद नाइजीरिया और तंजानिया जैसे देश आते हैं। पाकिस्तान और भारत जैसे देशों में विरोध झेल रहे इस समुदाय को अफ्रीकी देशों में इतनी परेशानी नहीं होती। दूसरी तरफ सऊदी अरब भी इन्हें मुसलमान नहीं मानता, यही वजह है कि इस समुदाय के हज पर जाने पर भी पाबंदी है। अगर कोई अहमदिया हज के इरादे से सऊदी जाता है तो उसे वहां से वापस भेज दिया जाता है।