India News (इंडिया न्यूज), Indian Elections Funding : एलन मस्क की अगुवाई वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) को जिस काम के लिए बनाया था, वो काम तेजी से हो रहा है। खबरों के मुताबिक विभिन्न देशों के लिए आवंटित लाखों डॉलर की फंडिंग रद्द करने का फैसला किया है, जिसमें भारत में ‘मतदाता संख्या बढ़ाने’ के लिए आवंटित 21 मिलियन डॉलर (180,600,000 रुपए) भी शामिल है। इस खुलासे के बाद देश में राजनीति गर्मा गई है। सत्ता में बैठी बीजेपी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी दखल हो रहा है। इससे किसे फायदा हो रहा है? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ पार्टी को नहीं!।
इस मुद्दे को लेकर DOGE अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका ने भारत में मतदाता संख्या बढ़ाने के लिए $21 मिलियन के कार्यक्रम और बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए $29 मिलियन (249,400,000 रुपए) की पहल को कम करने का निर्णय लिया है। इसको लेकर DOGE ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि, अमेरिकी टैक्सपेयर्स के पैसे इन चीजों पर खर्च होने वाले थे, जिन्हें अब रद्द कर दिया गया है।
बीजेपी ने जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस पर साधा निशाना
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह जॉर्ज सोरोस हैं, जो कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं, जिनकी छाया हमारे चुनावी प्रक्रिया पर मंडरा रही है। 2012 में, एस.वाई. कुरैशी के नेतृत्व में, चुनाव आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे। यह संगठन जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा है, जिसे मुख्य रूप से USAID द्वारा फंडिंग किया जाता है।
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आगे अमित मालवीय ने कहा कि, विडंबना यह है कि जो लोग भारत के चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की पारदर्शी और समावेशी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं जो हमारे लोकतंत्र में पहली बार हुआ है, जहां पहले प्रधानमंत्री अकेले ही निर्णय लेते थे उन्हें भारत के पूरे चुनाव आयोग को विदेशी ऑपरेटरों के हाथों सौंपने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई. यह स्पष्ट होता जा रहा है कि कांग्रेस-नेतृत्व वाली यूपीए ने योजनाबद्ध तरीके से भारत की संस्थाओं में उन ताकतों को घुसपैठ करने की अनुमति दी, जो देश के हितों के खिलाफ हैं जो हर मौके पर भारत को कमजोर करने की कोशिश करते हैं।
भारत के अलावा इन देशों में भी हो रही ती फंडिंग
भारत-बांग्लादेश के अलावा अन्य देशों में भी फंडिंग पर रोक लगाई गई है। इनमें लाइबेरिया में $1.5 मिलियन का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया; माली, जहां $14 मिलियन की सामाजिक एकता की पहल को खत्म कर दिया गया; नेपाल, जहां वित्तीय संघवाद के लिए निर्धारित $20 मिलियन को रद्द कर दिया गया; और दक्षिणी अफ्रीका, जिसने सीखने के परिणामों में सुधार के लिए $47 मिलियन की फंडिंग खो दी. इसके अलावा, कंबोडिया और सर्बिया भी DOGE की कार्रवाइयों से प्रभावित देशों में शामिल हैं।