India News (इंडिया न्यूज), Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप लगातार यूक्रेन पर युद्ध खत्म करने का दबाव बना रहे हैं। लेकिन इसके पीछे की कहानी शांति नहीं बल्कि कुछ और ही लगती है। ट्रंप की नजर यूक्रेन के खजाने पर है, जिससे वह मालामाल होना चाहते हैं। यूक्रेन के एक मंत्री ने दावा किया है कि यूक्रेन के खनिज भंडार को लेकर राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच डील होने वाली है। सब कुछ तय हो चुका है और सिर्फ हस्ताक्षर होने बाकी हैं। तो यूक्रेन के पास ऐसा कौन सा खजाना है, जिसे अमेरिका ‘लूटना’ चाहता है?

यूक्रेन के पास है ये खजाना

यूक्रेन के पास दुनिया के महत्वपूर्ण खनिजों का करीब 5% हिस्सा है। इनमें 19 मिलियन टन से ज्यादा ग्रेफाइट भंडार शामिल हैं। यूक्रेन ग्रेफाइट का उत्पादन करने वाले शीर्ष 5 देशों में शामिल है। ग्रेफाइट का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी बनाने में होता है, जिसकी काफी मांग है। यूक्रेन के पास यूरोप के लिथियम भंडार का एक तिहाई हिस्सा भी है, जिसका इस्तेमाल बैटरी में होता है। रूसी आक्रमण से पहले यूक्रेन वैश्विक स्तर पर 7% टाइटेनियम का उत्पादन करता था, जो एक हल्की धातु है जिसका इस्तेमाल हवाई जहाज से लेकर बिजली संयंत्रों तक कई तरह के उत्पादों के निर्माण में होता है।

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दुर्लभ धातुओं का है भंडार

यूक्रेन में दुर्लभ धातुओं के भी महत्वपूर्ण भंडार हैं। ये 17 तत्वों का समूह है जिनका उपयोग आधुनिक हथियारों, पवन टर्बाइनों, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उत्पादों के उत्पादन में किया जाता है। हालांकि, कुछ खनिज भंडारों पर रूस ने कब्ज़ा कर लिया है। यूक्रेनी अर्थव्यवस्था मंत्री यूलिया स्विरिडेंको के अनुसार, कब्जे वाले क्षेत्रों में अब 350 बिलियन डॉलर के खनिज हैं। कनाडा स्थित एक संस्थान ने 2022 में एक सर्वेक्षण किया, जिसके अनुसार – रूस ने यूक्रेन की 63% कोयला खदानों और उसके आधे मैंगनीज, सीज़ियम, टैंटालम और दुर्लभ पृथ्वी भंडार पर कब्जा कर लिया है। इन पर कब्जा करके रूस यूक्रेन को अपंग बनाना चाहता है।

इस वजह से अमेरिका की है खजानों पर नजर

ग्रेफाइट और लिथियम जैसे खनिज आज की अर्थव्यवस्था की नींव हैं। इनका उपयोग हरित ऊर्जा, सेना और औद्योगिक क्षेत्रों में बहुत अधिक होता है। इसलिए इनकी बहुत अधिक मांग है। जिनके पास ये अधिक हैं, वे रणनीतिक रूप से भी बहुत मजबूत हैं। यूक्रेन स्थित खनन सलाहकार फर्म जियोलॉजिकल इन्वेस्टमेंट ग्रुप की सीईओ इरिना सुप्रुन ने बीबीसी से कहा, इन खनिजों से खनिज नहीं बनाए जा सकते। या फिर इन्हें बनाना बहुत महंगा है। इसलिए अमेरिकी निवेशकों की नजर इस पर है। इससे न सिर्फ पैसा आता है बल्कि नौकरियां मिलती हैं।

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