India News (इंडिया न्यूज), Nuclear Attack Sub Marine: परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBN) आज के दौर की सबसे शक्तिशाली और भयावह हथियार प्रणालियों में से एक हैं। ये पनडुब्बियां अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBMS) दागने की क्षमता रखती हैं, जो दुनिया के किसी भी कोने में परमाणु हमला करने की क्षमता प्रदान करती हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 6 देशों के पास परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बियां हैं। 

अमेरिका के पास है पनडुब्बियां

ट्रायड रणनीति का हिस्सा बनने वाली अमेरिका की परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बियां इसकी सबसे शक्तिशाली परमाणु क्षमता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अमेरिका के पास ओहियो क्लास और वर्जीनिया क्लास जैसी पनडुब्बियां हैं, जो समुद्र के अंदर छिपकर परमाणु हमला करने की रणनीतिक क्षमता प्रदान करती हैं। ट्राइडेंट II D5 मिसाइलों से लैस ये पनडुब्बियां करीब 12,000 किलोमीटर तक की दूरी तक मार कर सकती हैं और 11 मील की बेहद सटीकता के साथ लक्ष्य पर हमला कर सकती हैं।

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चीन की पनडुब्बियों का कोई जोर नहीं

इसके अलावा अगर हम चीन की बात करें तो, इसके पास जिन-क्लास (टाइप 094) और टाइप 096 जैसी परमाणु हमलावर पनडुब्बियाँ हैं। ये पनडुब्बियाँ चीनी नौसेना की नीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, खास तौर पर रणनीतिक प्रतिरोध और प्रतिक्रिया के नज़रिए से। चीन की SSBNS, JL-2 और भविष्य में JL-3 मिसाइलों के साथ, अमेरिका, रूस और अन्य परमाणु शक्तियों से मुकाबला करती है। इसके अलावा, ब्रिटेन की परमाणु पनडुब्बियों का समूह वैनगार्ड क्लास पनडुब्बियों के नाम से मशहूर है। ये पनडुब्बियाँ ट्राइडेंट II D5 मिसाइलों से लैस हैं और ब्रिटिश रणनीतिक रक्षा नीति का हिस्सा हैं। इन पनडुब्बियों को समुद्र के नीचे छिपाकर रखने से यह सुनिश्चित होता है कि ब्रिटेन किसी भी स्थिति में अपने परमाणु हथियारों को लॉन्च करने की क्षमता रखता है।

फ्रांस और रूस भी पीछे नहीं

फ्रांस के पास भी ले ट्रायम्फेंट क्लास सहित परमाणु हमलावर पनडुब्बियाँ हैं। इन पनडुब्बियों में ले जाए जाने वाला फ्रांस का M51 मिसाइल सिस्टम उच्च गति और लंबी दूरी के साथ परमाणु हमला संभव बनाता है। फ्रांस ने अपनी पनडुब्बी क्षमता को लगातार आधुनिक बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं, जिससे देश दुनिया के परमाणु शक्ति संतुलन में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। रूस की परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बियाँ लंबे समय से रणनीतिक प्रतिरोध का हिस्सा रही हैं। रूस की बोरी क्लास और टाइफून क्लास जैसी SSBN, R-30 बुलवा और R-39 रिफ़ मिसाइलों से लैस हैं, जिनमें सबसे ज़्यादा रणनीतिक क्षमताएँ हैं। रूस के पास दुनिया की कुछ सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली परमाणु पनडुब्बियाँ हैं, जो बिना रुके सालों तक समुद्र में काम करने में सक्षम हैं।

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भारत के पास है ये पनडुब्बियां

भारत ने हाल के वर्षों में अपनी परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बी क्षमता में काफ़ी वृद्धि की है। भारत की पहली SSBN, INS अरिहंत, 2016 में अपनी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली लॉन्च क्षमता के साथ कमीशन की गई थी। इसके बाद एक और अरिहंत-क्लास पनडुब्बी, INS अरिघाट को कमीशन किया गया। ये भारतीय पनडुब्बियाँ K-15 और K-4 मिसाइलों से लैस हैं, जो 3,500 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों पर सटीक हमला करने में सक्षम हैं। भारत की परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बियाँ इसे एक मज़बूत समुद्री प्रतिरोध क्षमता प्रदान करती हैं, जो इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करती हैं।

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