India News (इंडिया न्यूज), WHO: दुनिया के कई देश आज जंग में कूद पड़े हैं चाहे रूस यूक्रेन की बात हो या फिर इजराइल गाजा हैती लेबनान, सीरिया की बात हो। हर तरफ रॉकेट से बमबारी हो रही है। लेकिन, इस तरह लगातार हो रहे हमले को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने चिंता जताई है क्योंकि, इन हमलों में हेल्थकेयर सेक्टर ना सिर्फ चपेट में आ रहा है, बल्कि, हजारों लोग मारे जा रहे हैं। बीते 3 साल में हेल्थ केयर पर हमले करने की फ्रीक्वेंसी बढ़ी है जिसे WHO ने न्यू नॉर्मल ऑफ कॉन्फ्लिक्ट कहा है।
WHO के डायरेक्टर जनरल (DG) डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का कहना है कि इस साल अफगानिस्तान, गाजा, हैती, लेबनान, म्यांमार, सूडान , यूक्रेन और दूसरी जगहों में हमले की वजह से 1200 से ज्यादा हेल्थ केयर सेंटर्स नष्ट हो गए। इन्होंने ने बताया कि साल 2018 से अबतक 21 देशों या टेरेटरीज में इन हमलों से 7,600 से ज्यादा हॉस्पिटल्स समेत हेल्थ केयर सेंटर्स, 2,600 से ज्यादा की मौत और 5,600 से ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर्स और मरीज़ घायल हुए ।
डॉ टेड्रोस के मुताबिक, इससे हेल्थ सेक्टर में काम करने वाले लोगों पर ही असर नहीं पड़ा है, बल्कि, इसका दूरगामी असर भी पड़ रहा है। जिसके लिए कोई जवाबदेह नहीं है।
इन देशों ने अपनी लड़ाई के चक्कर में हॉस्पिटल्स, क्लिनिक्स, एम्बुलेंसेज समेत तमाम हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को नष्ट कर दिए। इसका असर बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगों पर पड़ रहा है। इसके अलावा कैंसर,किडनी हार्ट सम्बन्धित बीमारियों के मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसलिए, इन्होंने ने हेल्थ केयर सुरक्षित करने के लिए इंटरनेशनल लॉ की मांग करते हुए कहा कि “शांति” सबसे अच्छी दवाई है।