India News (इंडिया न्यूज), India Egypt relations: वर्षों से पाकिस्तान का भरोसेमंद साथी रहा मिस्र अब कूटनीतिक मंच पर अपने कदम बदलता दिख रहा है। कुछ दिन पहले तक मिस्र भारत की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई पर सवाल उठाता था और परोक्ष रूप से पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा दिखाई देता था। लेकिन जैसे ही भारत का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल काहिरा पहुंचा, वहां की सरकार ने अपना सुर बदल लिया। अब वही मिस्र आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति की तारीफ कर रहा है और कह रहा है कि हम यह भी बताएंगे कि आतंकवादियों को कैसे मारा जाता है।

मिस्र दौरे के दौरान मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देल-आती ने भारत के उच्चस्तरीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस मीटिंग में मिस्र ने भारत के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की बात कही। खास बात यह रही कि जहां पहले मिस्र पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाता था, वहीं अब वह आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई की तारीफ करने लगा है।

कश्मीर पर मिस्र का क्या रुख रहा?

मिस्र ने साफ कहा कि वह भारत के साथ हर क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करना चाहता है। उसने रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने और संसदीय स्तर पर भी दोनों देशों के बीच स्थायी संवाद शुरू करने की बात कही। यह वही मिस्र है जो पिछले सालों में कश्मीर मुद्दे पर भारत की कार्रवाई से दूरी बनाए रखता था।

इस मीटिंग की ख़ास बात यह रही कि मिस्र ने भारत के दर्द को समझा, को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद झेलना पड़ा था। मिस्र के राष्ट्रपति ने खुद प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर संवेदना व्यक्त की। साथ ही मिस्र के विदेश मंत्री ने भी अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के प्रयासों का समर्थन किया।

अब मिस्र पाकिस्तान के खिलाफ हो गया है?

अब मिस्र भारत को अपने दशकों के आतंकवाद विरोधी अनुभव का सबक देने की बात कर रहा है। मंत्री अब्देल-आती ने कहा कि मिस्र ने आतंकवाद से सालों तक लड़ाई लड़ी है और इसे खत्म करने के तरीके भी जानता है। उनके इस रुख को भारत के सामने आतंकवाद के खिलाफ खड़े एक सच्चे सहयोगी के तौर पर खुद को पेश करने की कोशिश माना जा रहा है।

इस दौरान मिस्र ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने की अपील भी की। लेकिन यह अपील दोतरफा नहीं थी। मिस्र ने पहली बार सीधे तौर पर स्वीकार किया कि पाकिस्तान को भी अपने रुख पर फिर से सोच-विचार  करना चाहिए और  बातचीत के जरिए समाधान निकालना चाहिए। यह वही देश है जो पहले हर मामले में खुलकर पाकिस्तान की वकालत करता था।

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भारत की बढ़ती साख

इस घटनाक्रम से साफ है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की साख और प्रभाव बढ़ा है। पाकिस्तान के सबसे पुराने सहयोगी अब उससे दूरी बनाने लगे हैं। मिस्र के रुख में अचानक आया बदलाव इस बात का संकेत है कि भारत की विदेश नीति और आतंकवाद के खिलाफ उसके सख्त रुख को अब विश्व समुदाय में स्वीकार किया जा रहा है। दूसरी ओर, पाकिस्तान को अभी भी अपनी छवि सुधारने की जरूरत है, वरना उसके ‘मित्र’ भी उससे मुंह मोड़ते रहेंगे।

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