India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh Army Officer House Arrest: गुरुवार को 10 अप्रैल को बांग्लादेश से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई। दरअसल एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जिसने सबको हैरान करके रख दिया है। पिछले साल जुलाई में छात्र विद्रोह के दौरान उनकी भूमिका के लिए बांग्लादेशी सेना के पांच अधिकारियों को नजरबंद कर दिया गया है। नॉर्थ ईस्ट न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। जुलाई में छात्र विद्रोह के बाद पिछले साल अगस्त में शेख हसीना को प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद वह ढाका से भागकर भारत आ गई थीं। सैन्य अधिकारियों की नजरबंदी ऐसे समय में हुई है, जब बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमान रूस के दौरे पर हैं। इस घटनाक्रम से ढाका में दिलचस्पी बढ़ गई है।

दो ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी

रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेशी सेना के जिन पांच वरिष्ठ अधिकारियों को ढाका कैंटोनमेंट में नजरबंद किया गया है, उनमें दो ब्रिगेडियर, एक कर्नल, एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर शामिल हैं। सैन्य अधिकारियों को 5 अप्रैल को उनके आधिकारिक आवासों तक ही सीमित रखा गया था। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पांचों अधिकारियों की पहचान सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं की है।

शेख हसीना के एडीसी भी शामिल

हालांकि, भारतीय एजेंसियों ने इन पांचों की पहचान कर ली है। इनमें ब्रिगेडियर जनरल एसएम जकारिया हुसैन (इंजीनियर्स ब्रिगेड), ब्रिगेडियर जनरल इमरान हामिद (इन्फेंट्री ब्रिगेड) शामिल हैं। जनरल हामिद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के एडीसी भी थे। इसके अलावा रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) के कर्नल अब्दुल्ला अल-मोमेन, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद रिदवानुल इस्लाम और ईस्ट बंगाल रेजिमेंट के मेजर मोहम्मद नोमान अल फारूक की पहचान की गई है।

24 घंटे निगरानी में रखा गया

एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी अधिकारी 24 घंटे निगरानी में हैं और उन्हें सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया गया है। उनकी आवाजाही प्रतिबंधित है और देश छोड़ने पर रोक है। सूत्रों ने पुष्टि की है कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने अधिकारियों के खिलाफ आरोप दायर किए हैं, जिसके बाद जनरल वकार उज-जमान ने इस कदम को मंजूरी दी।

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सेना प्रमुख जमान शुरू में अनिच्छुक थे

सेना प्रमुख जनरल जमान शुरू में बिना ठोस सबूत के कार्रवाई करने के लिए अनिच्छुक थे, लेकिन कथित तौर पर आईसीटी द्वारा उनके खिलाफ निष्कर्ष प्रस्तुत करने के बाद अधिकारियों के खिलाफ नजरबंदी को अधिकृत किया। रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “यह खुली गिरफ्तारी है। वे अपने घरों में रहते हैं, लेकिन उन पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। उन्हें उनके संबंधित कर्तव्यों से हटा दिया गया है और वे किसी भी परिस्थिति में देश नहीं छोड़ सकते।”

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