India News (इंडिया न्यूज), Trump Gaza Plan: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा योजना ने अहम सहयोगियों को नाराज कर दिया है। बताया जा रहा है कि, ट्रंप के इस प्लान के बाद मुस्लिम देश एकजुट हो रहे हैं। सऊदी अरब ने आपातकालीन ‘अरब शिखर सम्मेलन’ की घोषणा की है, जो सऊदी अरब में होने जा रहा है। दरअसल, मुस्लिम देशों को ‘अल-नकबा’ का डर सता रहा है, जब लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। उन्हें अपनी मातृभूमि को हमेशा के लिए छोड़ना पड़ा था। इस शिखर सम्मेलन की तैयारियों से वाकिफ एक सूत्र ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि सऊदी अरब 20 फरवरी को एक शिखर सम्मेलन में चार अरब देशों के नेताओं की मेजबानी करेगा, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा पर अमेरिकी कब्जे के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी।

अब क्यों एकजुट हो रहे ये देश

अरब शिखर सम्मेलन से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप की गाजा योजना के मुद्दे पर एक हफ्ते बाद काहिरा में अरब लीग की बैठक से पहले होने वाले शिखर सम्मेलन में मिस्र, जॉर्डन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात के नेता हिस्सा लेंगे। जानकारी के अनुसार, इसमें फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास भी हिस्सा लेंगे। आपको बता दें कि इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के बाद फिलिस्तीन में लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। उत्तरी फिलिस्तीन में सिर्फ मलबा ही दिखाई दे रहा है। इस इलाके को फिर से बसाने में काफी समय लगेगा। अब यहां से अपना घर छोड़कर आए इन लाखों लोगों को किसी दूसरी जगह बसाने की योजना बनाई जा रही है।

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क्या है ट्रंप का गाजा प्लान?

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ट्रंप एक के बाद एक चौंकाने वाले फैसले ले रहे है। हमास के बंधकों को न छोड़ने के ऐलान के बाद डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू काफी भड़क गए हैं। इससे पहले ट्रंप ने गाजा पट्टी को खाली कराकर यहां के लोगों को मिस्र, जॉर्डन और दूसरे अरब देशों में बसाने की बात कही है। ट्रंप की गाजा योजना के मुताबिक अब इन लाखों लोगों को कहीं और बसाया जाना चाहिए। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की योजना का समर्थन किया है। ट्रंप की योजना के मुताबिक इजरायल पश्चिमी तट पर कब्जा करेगा, गाजा पर नियंत्रण करेगा और सीमावर्ती सीरियाई इलाकों पर कब्जा करेगा।

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ट्रंप ने अपने पुराने दो सहयोगी देशों को दी धमकी

डोनाल्ड ट्रंप हर हाल में अपनी योजनाओं को अमलीजामा पहनाना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि, अपनी गाजा योजना को लेकर किसी भी हालत में पीछे हटना नहीं चाहते हैं। इसलिए ट्रंप ने लंबे समय से सहयोगी रहे जॉर्डन और मिस्र को उनकी योजना को अस्वीकार करने पर सहायता में कटौती करने की धमकी दी है। आपको बता दें कि जॉर्डन में पहले से ही दो मिलियन से ज्यादा फिलिस्तीनी शरणार्थी रह रहे हैं। देश की 1 करोड़ 10 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा फिलिस्तीनी मूल के हैं। वहीं, मिस्र ने गाजा के पुनर्निर्माण के लिए अपना प्रस्ताव रखा, जिसके तहत फिलिस्तीनियों को इस क्षेत्र में रहने की अनुमति होगी।

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क्या है अल-नकबा?

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अल-नकबा का अरबी में मतलब ‘आपदा’ होता है, यह फिलिस्तीन के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। यह शब्द 1948 के फिलिस्तीन युद्ध के दौरान हुई घटनाओं और उसके बाद के वर्षों में फिलिस्तीनी लोगों के विस्थापन को दर्शाता है। 1948 के युद्ध के दौरान 700,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी अपने घरों और गांवों से विस्थापित हो गए थे। उन्हें अपनी मातृभूमि से भागने पर मजबूर होना पड़ा और वे पड़ोसी देशों में शरणार्थी बन गए।

अल-नकबा की घटना ने फिलिस्तीनी समाज, संस्कृति और पहचान को गहरा झटका दिया। इस दौरान कई फिलिस्तीनी शहर और गांव तबाह हो गए और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों को नुकसान पहुँचा। ऐसे में अल-नकबा फिलिस्तीनी लोगों के लिए एक राष्ट्रीय त्रासदी का प्रतीक है। फिलिस्तीनी हर साल 15 मई को अल नकबा की सालगिरह मनाते हैं, जिसे वे ‘आपदा दिवस’ के रूप में याद करते हैं। अल नकबा का मुद्दा अभी भी इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के केंद्र में है।

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