India News (इंडिया न्यूज), China Connection In Pahalgam Terror Attack : पहलगाम आतंकी हमले की जांच एनआईए को दी गई है। हर दिन इस नरसंहार को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान से इस हमले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है, जहां पर पाकिस्तानी सेना के एक पूर्व अधिकारी ने हैरान कर देने वाला दावा किया है। पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर (रि.) आदिल रजा ने दावा किया है कि पहलगाम हमले की साजिश पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने रची थी। और इसमें चीन ने मुनीर की मदद की है।
पहलगाम आतंकी हमले के पीछे चीन का हाथ!
पाकिस्तानी सेना के एक पूर्व अधिकारी आदिल रजा ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में बताया कि पहलगाम हमले की साजिश जनरल आसिम मुनीर की है। रजा ने आगे कहा कि जनरल मुनीर की निजी ख्वाहिश 10 साल तक पाकिस्तान पर राज करने की है। ये सब उसी योजना का हिस्सा है। पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी ने साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान ने यह अकेले नहीं किया है। इसके लिए चीन ने उसे तैयार किया है।
बता दें कि भारत ने पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तानी समर्थित आतंकियों का हाथ बताया है। वहीं इस्लामाबाद ने इसमें अपनी किसी भी भूमिका से इनकार किया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने तो खुद को पाक साफ दिखाने के तटस्थ जांच की मांग भी कर दी है और सहयोग की बात भी कही है।
ड्रैगन का क्या है प्लान?
आदिल रजा ने आगे चीन को लेकर कहा कि, उसका पहलगाम हमले से जोड़ने वाला कोई सीधा कनेक्शन भले नहीं है, लेकिन यह बात साफ है कि भारत के कमजोर होने से चीन को लाभ होता है। इसके अलावा रजा ने पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शमशाद अहमद खान के एक हालिया इंटरव्यू में दिए बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘चीनी कभी भी खुद से नहीं लड़ते हैं। वे कभी खुद नहीं शामिल नहीं होते हैं। चीन पहले ही बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका में अपनी पैठ जमा चुका है और अब मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान भी उसकी रेंज में आ गया है।
उन्होंने ये भी बताया कि चीन ऐसा क्यों करेगा? रजा ने बताया कि इसके पीछे वैश्विक स्तर पर चल रही अमेरिका और चीन की प्रतिद्वंद्विता है। अमेरिका के टैरिफ वार के बाद बड़ी कंपनियां चीन से निकलने की तैयारी कर रही हैं। उनके लिए भारत एक बढ़िया विकल्प है, लेकिन चीन ये नहीं होने दे सकता है। चीन दुनिया की फैक्ट्री होने का तमगा छोड़ने को तैयार नहीं है। इसी वजह से वो भारत को अस्थिर करना चाहता है, क्योंकि वैश्विक कंपनियां उस जगह नहीं जाना चाहेंगी जहां जंग के हालात हों।