India News (इंडिया न्यूज), France Germany Nuclear Weapons Deal : अपने दूसरे टर्म की शुरूआत से ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपने तेवर से पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। ट्रंप इस वक्त अपने दुश्मनों को दोस्त और सहयोगियों को दुश्मन बनाने पर तुले हुए हैं। इस वक्त ट्रंप ने साफ कर दिया है कि जिन देशों को अमेरिका से सुरक्षा चहिए उन्हें अमेरिका को कुछ देना होगा। इसके अलावा ट्रंप की तरफ से ये भी इशारा किया गया है कि अब यूरोपीय देशों को अपनी रक्षा खुद करनी होगी।
ट्रंप के फैसलों ने जियो-पॉलिटिक्स में भूचाल ला दिया है। ट्रंप के बदले रवैये के बाद फ्रांस ने कमर कस ली है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि वो रूसी खतरों के खिलाफ यूरोपीय देशों में परमाणु सुरक्षा बनाने के लिए चर्चा करने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट में ऐसी खबरे सामने आई हैं कि रूस को काउंटर करने के लिए फ्रांस अब यूरोपीय देशों में परमाणु हथियारों की तैनाती कर सकता है। इसको लेकर फ्रांस और जर्मनी के बीच बात चल रही है।
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क्या है फ्रांस का प्लान ?
फ्रांसीसी न्यूजपेपर ले मोंडे से बात करते हुए मैनुएल मैक्रों ने कहा है कि जर्मनी के होने वाले चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ के अनुरोध के बाद महाद्वीप के लिए परमाणु हथियारों के बारे में बातचीत के लिए तैयार हैं। माना जा रहा है कि फ्रेडरिक मर्ज़ जर्मनी के अगले चांसलर बन सकते हैं। वो जर्मनी में परमाणु हथियारों की तैनाती का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं। शुक्रवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति की टिप्पणी इस सप्ताह की शुरुआत में आई उन रिपोर्टों के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि फ्रांस, यूरोप की सुरक्षा में मदद करने के लिए अपने परमाणु निरोध का उपयोग करने के लिए तैयार है। यूरोप को डर है कि यूक्रेन के बाद रूस का अगला निशाना वो हो सकते हैं।
इसके अलावा शुक्रवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने पुर्तगाली टेलीविजन से बात करते हुए कहा कि अगर यूरोप रक्षा के मामलों में ज्यादा स्वायत्तता चाहता है, तो उसके नेताओं को परमाणु निवारक के बारे में रणनीतिक और खुली चर्चा शुरू करनी चाहिए। वहीं जर्मीन के होने वाले चांसलर मर्ज़ ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ परमाणु हथियारों के ट्रांसफर पर बात करने की बात कही है।
नहीं रहा अमेरिका पर अब भरोसा!
जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका के पास करीब 100 परमाणु मिसाइलों का भंडार है, जिनमें से कई जर्मनी में रामस्टीन अमेरिकी सैन्य अड्डे पर तैनात हैं, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाजी से यूरोप के लिए यह सुरक्षा गारंटी खतरे में है। ट्रंप के आने से पहले भी फ्रांस और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर विवाद रहा है। फ्रांस इकलौता यूरोपीय देश है, जिसकी विदेश नीति पर अमेरिका का काफी कम प्रभाव दिखता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन यूरोपीय देशों पर फ्रांसीसी परमाणु हथियारों की भूमिका को लेकर दवाब बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे ब्रिटेन भी ऐसा करने के लिए दवाब बन सकता है।
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