India News (इंडिया न्यूज),California:कैलिफोर्निया अमेरिका के सबसे अमीर और सबसे चमकीले राज्यों में से एक है। लेकिन इस रोशनी के पीछे एक कड़वी सच्चाई छिपी है। यहां रहना इतना महंगा हो गया है कि कॉलेज के छात्रों को अब छत की जगह अपनी कारों में शरण लेनी पड़ रही है।घरों की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि कई छात्र अब हॉस्टल या अपार्टमेंट का किराया देने में असमर्थ हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि क्लास के बाद कार ही बिस्तर बन जाती है। और इस सच्चाई को नज़रअंदाज़ करना अब संभव नहीं है।
चौंकाने वाला प्रस्ताव
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए डेमोक्रेटिक असेंबली मेंबर कोरी जैक्सन ने एक अलग रास्ता सुझाया है। उन्होंने एक बिल पेश किया है जिसमें कहा गया है कि कैलिफोर्निया के सभी कम्युनिटी कॉलेज और स्टेट यूनिवर्सिटी को एक सुरक्षित पार्किंग प्रोग्राम शुरू करना चाहिए। इस योजना के तहत बेघर छात्र रात में कॉलेज कैंपस में अपनी कार पार्क कर सकेंगे और वहीं सुरक्षित तरीके से सो सकेंगे।
जैक्सन का कहना है कि यह कदम किसी स्थायी समाधान की जगह नहीं ले सकता, लेकिन मौजूदा संकट में यह एक ज़रूरी कदम हो सकता है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल कम्युनिटी कॉलेज के हर चार में से एक छात्र बेघर था।
बिल का विरोध कर रहा है कॉलेज प्रशासन
कॉलेज प्रशासन इस बिल का विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि उनके पास न तो पर्याप्त फंड है और न ही यह योजना दीर्घकालिक आवास संकट का समाधान प्रदान करती है। लेकिन जैक्सन का तर्क है कि अगर हर एजेंसी थोड़ी-थोड़ी मदद करे तो स्थिति सुधर सकती है।
इस बिल को छात्र नेताओं का समर्थन मिला है। कैलिफोर्निया कम्युनिटी कॉलेजों के छात्र सीनेट के अध्यक्ष इवान हर्नांडेज़ ने कहा है कि यह प्रस्ताव कोई नई समस्या नहीं ला रहा है, यह केवल पहले से मौजूद समस्या को संबोधित कर रहा है।
सुरक्षित पार्किंग योजना लागू
इस बीच, लॉन्ग बीच कम्युनिटी कॉलेज ने 2021 में एक पायलट प्रोग्राम शुरू किया। जब पाया गया कि 70 छात्र अपनी कारों में सो रहे हैं, तो कॉलेज ने एक सुरक्षित पार्किंग योजना लागू की। इसमें छात्रों को बाथरूम, शॉवर और वाई-फाई की सुविधा दी गई।
अब तक इस कार्यक्रम में 34 छात्र शामिल हुए हैं, जिनमें से अधिकांश 25 वर्ष से अधिक आयु के थे और आधे से अधिक वित्तीय सहायता के पात्र थे। हालांकि, ऐसी योजनाओं के साथ सुरक्षा, फंडिंग और प्रशासनिक चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि जब तक कोई स्थायी समाधान नहीं मिल जाता, तब तक ऐसे छोटे लेकिन प्रभावी कदम छात्रों को राहत पहुंचा सकते हैं।