India News (इंडिया न्यूज), Giorgia Meloni: रूस से युद्ध के बीच यूक्रेन का भविष्य दांव पर है। फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने यूक्रेन में शांति सेना भेजने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत फ्रांस और ब्रिटेन के शांति सैनिक यूक्रेन में आसमान से लेकर जमीन तक मौजूद रहेंगे। इस बीच यूरोपीय देश इटली ने शांति सेना भेजने को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने घोषणा की है कि उनका देश यूक्रेन में शांति सेना नहीं भेजेगा। मेलोनी को अमेरिका, खासकर डोनाल्ड ट्रंप का समर्थक माना जाता है।
भारत भी शांति सेना भेजने के पक्ष में नहीं
भारत भी यूक्रेन में शांति सेना भेजने के पक्ष में नहीं है। हाल ही में यूरोपीय संघ के अध्यक्ष डेर से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में बात की थी। रूस और यूक्रेन के मामले में भारत तटस्थ है। भारत दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। यूरोप और अमेरिका की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत ने इस मामले में किसी देश का रुख नहीं अपनाया। इतना ही नहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तटस्थ रहने की खुलकर वकालत की।
ट्रंप समर्थक हैं मेलोनी, की है ये मांग
मेलोनी को ट्रंप समर्थक माना जाता है। हाल ही में जब यूक्रेन को लेकर ब्रिटेन में सुरक्षा परिषद की बैठक हुई थी, तो मेलोनी ने ट्रंप से ऐसी ही बैठक की मांग की थी। मेलोनी ने कहा था कि उस बैठक में सभी देशों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। इटली यूरोप में स्थित है और द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी के साथ युद्ध में शामिल था। 48 वर्षीय मेलोनी को 2022 में इटली का प्रधानमंत्री चुना गया।
यूक्रेन को शांति सेना की जरूरत
रूस के साथ शांति प्रयासों में लगे जेलेंस्की को शांति सेना की जरूरत है। यूक्रेन को डर है कि समझौते के बाद रूस फिर हमला कर सकता है, इसलिए यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की भी शांति की गारंटी चाहते हैं। अमेरिका ने अभी तक इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। वहीं, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने शांति सेना भेजने की बात कही है।
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