India News (इंडिया न्यूज), Greece Archytas II Drone : तुर्की के बायरकतार ड्रोन का लोहा इस वक्त पूरी दुनिया मान रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध में भी इस ड्रोन का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश भी तुर्की से इस खतरनाक ड्रोन की खरीदारी कर चुका है। इस ड्रोन को बनाने के बाद दुनिया की ड्रोन इंडस्ट्री का करीब 60 फीसदी हिस्सा तुर्की के पास चला गया।
भारत भी बायरकतार ड्रोन की ताकत से वाकिफ है और बांग्लादेश जैसे देशों के हाथों में इन ड्रोन्स के आने से नई दिल्ली की टेंशन बढ़ गई है। लेकिन अब भारत को तुर्की के बायरकतार ड्रोन का काल मिल गया है। भारत के दोस्त और तुर्की के दुश्मन देश ग्रीस ने एक ऐसा शक्तिशाली ड्रोन बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है, जो एर्दोगन के इस घातक ड्रोन को सीधी चुनौती देगा। ग्रीस की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हेलेनिक एयरोस्पेस इंडस्ट्री (HAI) ने ARCHYTAS II ड्रोन के विकास की घोषणा कर दी है, इसे तुर्की के बायरकतार ड्रोन को काउंटर करने के लिए ही बनाया गया है।
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ग्रीस के ARCHYTAS II ड्रोन की ताकत
हेलेनिक एयरोस्पेस इंडस्ट्री (HAI) की तरफ से बनाए जा रहे ARCHYTAS II ड्रोन में वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग (VTOL) क्षमताएं हैं, जो इसे तुर्की के ड्रोन से अलग करती हैं। ग्रीस मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ड्रोन में पंख का फैलाव करीब 6 मीटर और लंबाई 4 मीटर है, जो 30 किलो पेलोड लेकर उड़ान भर सकता है। इस ड्रोन में बम के साथ साथ मोर्टार और रॉकेट जैसे हथियारों को भी शामिल किया जा सकता है। DEFEA 2023 रक्षा प्रदर्शनी के दौरान ग्रीस ने ARCHYTAS II ड्रोन का प्रदर्शन किया है।
इसके अलावा ARCHYTAS II ड्रोन आठ इलेक्ट्रिक मोटर VTOL को ऑपरेट करने में सक्षम हैं, जो थर्मल इंजन द्वारा संचालित क्षैतिज उड़ान में परिवर्तित होते हैं। इसके अलावा ये ड्रोन करीब 9 घंटे तक आसमान में लगातार तैनात रह सकता है। इस ड्रोन को हमला करने के साथ साथ डिफेंस के लिए और सर्विलांस के लिए भी खास तौर पर डिजाइन किया गया है। ग्रीस ने जितने कम समय में इस ड्रोन का निर्माण किया है, वो काबिलेतारीफ है। इस ड्रोन प्रोग्राम का नाम “आयरन बर्ड” रखा गया था और ग्रीस ने सिर्फ तीन सालों में ही इसे विकसित कर लिया है। जबकि तुर्की को बायरकतार ड्रोन विकसित करने में 10 सालों से ज्यादा का वक्त लग गया था।
क्या भारत खरीदेगा तुर्की का काल?
HAI की तरफ से दावा किया गया है कि इस ड्रोन की खास बात ये है कि तुर्की के बायरकतार ड्रोन के एक दिन की ऑपरेशन लागत जितनी है, उतनी लागत ARCHYTAS ड्रोन के पूरे कार्यक्रम की है। इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ARCHYTAS II ड्रोन की लागत काफी कम होगी। इस प्रोजेक्ट को देखते हुए हेलेनिक कंपनी फॉर इन्वेस्टमेंट्स एंड डेवलपमेंट (ELKAK) और सुप्रीम एयर काउंसिल (SAGE) से फंडिंग की मंजूरी मिली है।
हेलेनिक एयर फोर्स ने कथित तौर पर शुरूआत में 25 ड्रोन खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है और अगर सितंबर में कॉन्ट्रैक्ट को अंतिम रूप दे दिया जाता है, तो इस साल के अंत तक ड्रोनों की सप्लाई भी शुरू हो जाएगी। HAI का अनुमान है कि फिलहाल हर महीने 2 ड्रोन का उत्पादन किया जाना संभव है और धीरे धीरे प्रोडक्शन को और बढ़ाया जाएगा। इस ड्रोन को लेकर जो दावे किए जा रहे हैं अगर वो सही साबित हुए तो क्या पता भविष्य में भारत भी इन ड्रोन्स में दिलचस्पी दिखा सकता है।
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