IndiaNews (इंडिया न्यूज),Temple in Pakistan: पाकिस्तान में अफगान सीमा के पास एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है। इसकी जगह पर व्यावसायिक भवन बनाया जा रहा है। अधिकारियों ने मंदिर के अस्तित्व से इनकार करते हुए कहा कि निर्माण कार्य नियमानुसार किया जा रहा है। इस घटना को लेकर एक पत्रकार ने पाकिस्तान के नापाक चेहरे को बेनकाब किया है।

दरअसल, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक ऐतिहासिक मंदिर था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद इसे बंद कर दिया गया। इसे तोड़कर अब यहां कॉमर्शियल बिल्डिंग बनाई जा रही है। इस बारे में पाकिस्तानी पत्रकार इब्राहिम शिनवारी ने कहा कि कोटाल बाजार में एक मंदिर था। विभाजन के बाद स्थानीय हिंदू भारत चले गये। इसके बाद इसे बंद कर दिया गया।

‘अगर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया तो…’

उन्होंने कहा कि 1992 में जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था तो कुछ लोगों ने मंदिर को नुकसान पहुंचाया था। उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि हमने मंदिर से जुड़ी कहानियां सुनी हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान हिंदू मंदिर प्रबंधन समिति के हारून सरबदियाल ने कहा कि गैर-मुस्लिमों के धार्मिक महत्व की ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित करना सरकार की जिम्मेदारी है।

‘रिकॉर्ड में उस जगह पर मंदिर का कोई जिक्र नहीं’

वहीं, अधिकारियों का कहना है कि लैंडी कोटाल मार्केट में पुरानी दुकानों की मरम्मत के लिए बिल्डर को एनओसी जारी कर दी गई है। आश्चर्य की बात यह है कि अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उनके पास खैबर जिले में प्रामाणिक और व्यवस्थित राजस्व रिकॉर्ड नहीं हैं।

लंडी कोटाल के पटवारी जमाल अफरीदी ने कहा कि उन्हें मंदिर स्थल पर निर्माण की जानकारी नहीं है। राजस्व रिकार्ड में उस स्थान पर किसी मंदिर का जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा, अगर सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रहती है तो सभी पूजा स्थल और ऐतिहासिक इमारतें गायब हो जाएंगी।

यह भी पढ़ेंः- India Taliban Relations: खुल रहा है अफगानिस्तान लौटने का रास्ता, अब तालिबान में भी संपत्ति खरीद सकेंगे हिंदू व सिख