India News(इंडिया न्यूज), PM Modi Mauritius Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मॉरीशस पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। इस स्वागत की खास बात यह थी कि उन्हें भोजपुरी गीत-संगीत के साथ सम्मानित किया गया। पीएम मोदी मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने इस स्वागत के लिए अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भोजपुरी भाषा का मॉरीशस की संस्कृति में रचा-बसा होना बेहद सराहनीय है।


मॉरीशस और भारत: गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध

मॉरीशस और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंध विशेष रूप से भोजपुरी भाषा के माध्यम से और भी गहरे हुए हैं। भारत सरकार पिछले कई वर्षों से मॉरीशस के साथ अपने संबंधों को सुदृढ़ करने में जुटी है। मॉरीशस हिंद महासागर में स्थित एक छोटा द्वीप देश है, जो अफ्रीका के दक्षिण-पूर्व में मेडागास्कर के पास है। यह मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है और 12 मार्च 1968 को ब्रिटेन से आज़ाद हुआ।

यहां की कुल आबादी करीब 12 लाख है, जिसमें 70% लोग भारतीय मूल के हैं। इस देश में हिंदू धर्म मानने वालों की संख्या अधिक है। भारतीय मूल के लोगों की उपस्थिति और उनकी भाषा, संस्कृति, एवं परंपराओं ने मॉरीशस को “मिनी इंडिया” का स्वरूप दिया है।

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मॉरीशस में भोजपुरी भाषा का इतिहास

मॉरीशस पर ब्रिटिश और फ्रांसीसी शासन के दौरान 1834 से 1900 के बीच करीब पांच लाख भारतीयों को मजदूरी के लिए यहां लाया गया। इनमें से अधिकांश लोग बिहार और उत्तर प्रदेश के भोजपुरी भाषी थे। 2 नवंबर 1834 को ‘एटलस’ नामक जहाज से पहले 36 भारतीय मजदूर मॉरीशस पहुंचे। इस दिन को मॉरीशस में ‘अप्रवासी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस में स्थित अप्रवासी घाट, जहां भारतीय मजदूर पहली बार उतरे थे, अब यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है।

2011 की जनगणना के अनुसार, मॉरीशस में 5.3% लोग भोजपुरी बोलते हैं। हालांकि, 2000 में यह संख्या 12.1% थी। इसके बावजूद भोजपुरी भाषा मॉरीशस की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है।

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भाषा और संस्कृति का संरक्षण

मॉरीशस में आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, लेकिन यहां फ्रेंच और क्रियोल भी आम बोलचाल की भाषाएं हैं। भोजपुरी भाषा का उपयोग खासतौर पर चुनाव अभियानों और सामाजिक आयोजनों में किया जाता है। 2005 में भोजपुरी को प्राथमिक स्कूलों में वैकल्पिक विषय बनाया गया और 2012 में इसे चौथी कक्षा के लिए अनिवार्य कर दिया गया।

2013 में मॉरीशस सरकार ने भोजपुरी भाषा को बढ़ावा देने के लिए एक भोजपुरी-भाषी संघ बनाया। 2017 में भोजपुरी स्पीकिंग काउंसिल की स्थापना की गई, ताकि भाषा और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा दिया जा सके। 2018 में भोजपुरी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए एक विशेष परियोजना शुरू की गई।

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गीत-गवई: मॉरीशस की सांस्कृतिक धरोहर

गीत-गवई एक पारंपरिक हिंदू विवाह-पूर्व समारोह है, जिसमें भजन, प्रार्थना, संगीत और नृत्य के माध्यम से देवी-देवताओं का सम्मान किया जाता है। यह गिरमिटिया लोगों की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, जिन्होंने मॉरीशस में अपनी भाषा और परंपराओं को जीवित रखने के लिए संघर्ष किया। परिवारों, सामुदायिक केंद्रों और अकादमियों के माध्यम से यह परंपरा आज भी जीवित है।


भारतीय संस्कृति का प्रभाव

मॉरीशस में भारतीय संस्कृति की गहरी छाप देखी जा सकती है। यहां की महिलाएं साड़ी पहनती हैं और पारंपरिक भारतीय लोकगीत जैसे झूमर, सोहर, कजरी गाती हैं। 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जुगनौथ ने वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस पर घोषणा की थी कि 2020 में मॉरीशस में अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। हालांकि, कोविड-19 के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। 2024 में यह महोत्सव मॉरीशस के बेले मारे में आयोजित हुआ।


पीएम मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे ने भारत और मॉरीशस के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को एक बार फिर उजागर किया। यह दौरा न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि भारतीय संस्कृति और भोजपुरी भाषा के महत्व को भी रेखांकित करता है। पीएम मोदी का यह कहना कि भोजपुरी भाषा मॉरीशस की संस्कृति में गहराई से जुड़ी हुई है, दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करता है।

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