India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh Import From India : यूनुस सरकार के आने के बाद से ही बांग्लादेश और भारत के रिश्ते अपने सबसे निचले स्तर पर है। हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा की वजह से यूनुस सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा बांग्‍लादेश ने अब अपनी मुसीबत को भारत के सिर डाल दिया है। असल में महंगाई बढ़ने की वजह से बांग्लादेश ने भारत से ज्‍यादा सामान आयात करना शुरू कर दिया और भारत से भी निर्यात बढ़ गया है। इस वजह से देश में महंगाई भी बढ़ती जा रही है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बांग्लादेश जैसे देशों को हाल ही में निर्यात बढ़ने के बीच कोलकाता के बाजार में अंडे की कीमतों में करीब 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यहां अंडे का दाम साढ़े छह रुपये से बढ़कर 8 रुपये हो गया है।

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पांच करोड़ अंडे का ऑर्डर

पॉल्ट्री उद्योग निकाय के अनुसार इस तेजी का प्राथमिक कारण बांग्लादेश को निर्यात बढ़ना नहीं है, क्योंकि यह देश भारत के पारंपरिक निर्यात बाजारों में से नहीं है। पश्चिम बंगाल पॉल्ट्री फेडरेशन ने कीमतों में बढ़ोतरी के लिए सर्दियों की मांग, मुर्गीदाने की बढ़ती लागत और बांग्लादेश और मलेशिया जैसे देशों को निर्यात बढ़ने को जिम्मेदार ठहराया, जो भारत के लिए नए बाजार हैं। नवंबर और दिसंबर के लिए बांग्लादेश और मलेशिया से करीब पांच करोड़ अंडे का ऑर्डर मिला है।

भारत से अंडे मांग रहा बांग्‍लादेश

सितंबर से ही बांग्लादेश सरकार ने बढ़ते घरेलू मूल्य को स्थिर करने के लिए अंडे के आयात के लिए भारत का रुख किया है। बंगाल से अंडे मुख्य रूप से पेट्रापोल-बेनापोल सीमा के ज़रिये निर्यात किए जाते हैं। हालांकि, मैती ने स्पष्ट किया कि निर्यात किए जाने वाले ज़्यादातर अंडे बंगाल से नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से आते हैं। ओमान, मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और कतर भारतीय अंडों के लिए शीर्ष पांच बाजार बने हुए हैं, साथ ही कई अन्य देश भारत से आयात करते है।

वहीं फेडरेशन के महासचिव मदन मोहन मैती ने बताया कि अंडे की कीमतें पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश में बढ़ी हैं। हालांकि, खुदरा कीमतें 7.5 रुपये प्रति अंडे से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि थोक दर 6.7 रुपये प्रति अंडा है। देश में अंडों की कोई कमी या संकट नहीं है। स्थानीय व्यापारियों ने कहा कि सर्दियों में अंडे की कीमतें बढ़ जाती हैं, लेकिन इस मौसम में उछाल तेज है। वहीं मैती ने बताया कि इस मुद्दे का मूल कारण मक्के की कमी है।

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