India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Water Crisis: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने अपने लिए ऐसी मुसीबत खड़ी कर ली है जिसका खामियाजा धीरे-धीरे उसके लोगों को भुगतना पड़ रहा है। पहले से ही महंगाई, कर्ज और भुखमरी से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत अब और खराब होने वाली है, क्योंकि भारत ने सिंधु जल संधि को खत्म कर दिया है। पाकिस्तान की ओर जाने वाली नदी की इस धारा को रोका जा रहा है। भले ही अभी पाकिस्तान पर इसका असर न हो, क्योंकि उसकी नदियों में अभी भी पानी है। लेकिन आने वाले महीनों में इसका असर साफ तौर पर दिखने वाला है।
जब दुश्मन देश की धरती पर लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसेंगे, तब उन्हें वो दिन याद आएंगे, जब भारत ने उनके देश के एक इलाके को आज भी पानी के लिए प्यासा रखा है। उस इलाके का नाम है बहावलपुर। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों ये इलाका आज भी पानी के लिए तरसता है।
सिंधु की एक सहायक नदी है सतलुज
सतलज नदी एशिया की प्रमुख नदियों में से एक है। यह चीन, भारत और पाकिस्तान से होकर बहती है। पंजाब क्षेत्र की पांच प्रमुख नदियों में यह सबसे लंबी है। पाकिस्तान में इसे सतद्रु के नाम से जाना जाता है। यह सिंधु की सबसे पूर्वी सहायक नदियों में से एक है। भारत ने इस नदी पर भाखड़ा बांध बनाया है, जो पंजाब, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों को सिंचाई और अन्य सुविधाएँ प्रदान करता है। भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के तहत, सतलुज का पानी भारत को आवंटित किया गया है और इसका अधिकांश हिस्सा भारत में सिंचाई नहरों जैसे सरहिंद नहर, भाखड़ा मेन लाइन और राजस्थान नहर में भेजा गया है।
इस क्षेत्र में सूखे की गंभीर स्थिति
तिब्बत से निकलने वाली यह नदी भारत के कई हिस्सों से होकर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ते हुए पंजाब प्रांत के कसूर जिले में भेड़ियन कलां से लगभग 15 किलोमीटर (9.3 मील) पूर्व में पाकिस्तान में प्रवेश करती है। यह प्राचीन और ऐतिहासिक बहावलपुर राज्य को पानी उपलब्ध कराने के लिए दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ती है। बहावलपुर सतलुज नदी के तट पर स्थित है। बांध के निर्माण के बाद, पाकिस्तान के बहावलपुर में सूखे की गंभीर स्थिति है।
लोगों को पानी की जरूरत
अब सिंधु जल संधि रद्द होने के बाद बहावलपुर में किसानों को सूखे के कारण फिर से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यहां फसलें सूखने लगी हैं, जिससे लोगों में चिंता बढ़ गई है। बहावलपुर में पानी की आपूर्ति कम होने के कारण वहां के लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज हो गए हैं।