India News (इंडिया न्यूज), India Maldives Relations: मालदीव और भारत के बीच साल 2024 के शुरुआत से रिश्तों में खटास आ गई थी। जो अब धीरे-धीरे ठीक हो गई है। वहीं अब मालदीव आर्थिक मुश्किलों से गुजर रहा है। जिसको देखते हुए भारत ने आपातकालीन वित्तीय सहायता देते हुए मालदीव को एक साल के लिए 50 मिलियन डॉलर के सरकारी ट्रेजरी बिलों की सदस्यता फिर से बढ़ा दी है। इस साल यह दूसरा मौका है जब भारत ने मालदीव को ऐसी सहायता की पेशकश की है। वहीं यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब दोनों देशों के बीच संबंधों में नरमी देखी गई है। दरअसल, पिछले साल राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने इंडिया आउट अभियान चलाकर मालदीव की सत्ता संभाली थी और नई दिल्ली से तीन विमानों का संचालन करने के लिए देश में तैनात 85 से अधिक सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने की मांग की थी।
मुइज्जू सरकार के अनुरोध पर एक साल के लिए किया सब्सक्राइब
भारतीय उच्चायोग ने बयान में कहा कि भारतीय स्टेट बैंक ने मालदीव सरकार के 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिलों को पिछली सदस्यता के पूरे होने पर एक और साल के लिए सब्सक्राइब किया है। इस साल मई के महीने में एसबीआई ने मालदीव सरकार के अनुरोध करने पर पुरानी व्यवस्था के तहत 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल सब्सक्राइब किए थे। ये सब्सक्रिप्शन मालदीव सरकार के विशेष अनुरोध पर आपातकालीन वित्तीय सहायता के रूप में किए गए हैं। भारतीय उच्चायोग ने आगे कहा कि भारत ने ज़रूरत के समय मालदीव की सहायता की है और राजकोषीय बिलों की मौजूदा सदस्यता, साथ ही इस वर्ष की शुरुआत में मालदीव को आवश्यक वस्तुओं के निर्यात के लिए विशेष कोटा को एक और वर्ष तक बढ़ाने का भारत सरकार का निर्णय, मालदीव की सरकार और लोगों के प्रति भारत के निरंतर समर्थन को दर्शाता है।
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इस नीति के तहत काम कर रहा है भारत
भारतीय पक्ष ने मालदीव को एक प्रमुख समुद्री पड़ोसी और पड़ोसी पहले नीति के तहत एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में भी वर्णित किया। वहीं मालदीव के पर्यटन मंत्री अहमद अदीब ने एक्स पर एक पोस्ट में 50 मिलियन डॉलर के राजकोषीय बिलों के रोलओवर के साथ महत्वपूर्ण बजटीय सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। अदीब ने कहा कि इससे हमारे देशों के बीच गहरे संबंध मजबूत होते हैं और आर्थिक स्थिरता और विकास की दिशा में हमारा मार्ग मजबूत होता है। दरअसल, मालदीव इस समय गंभीर आर्थिक मंदी से जूझ रहा है, कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण इसके राजस्व और विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ा है।
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