India News(इंडिया न्यूज),Nepal-India: भारत और नेपाल के बीच के संबंध को लेकर इन दिनों कई सारी बातें हुई। क्योंकि भारत के साथ नेपाल की बातें चीन को अच्छी नहीं लग रही थी। वहीं इस मामले में चीन के लिए एक और बूरी खबर है जहां भारत और चीन के बीच दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते पर इस महीने नवंबर में हस्ताक्षर हो जाएंगे। इस मामले की जानकारी देते हुए ऊर्जा और सिंचाई मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि, नेपाल और भारत अगली संयुक्त संचालन समिति की बैठक में इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। बता दें कि, भारत और नेपाल के बीच ये समझौता इस साल मई-जून में नेपाल पीएम पुष्प कमल दहल के भारत दौरे के दौरान तय हुआ था। ये समझौता 25 साल के लिए है, जो दोनों देशों में बिजली के व्यापार का रास्ता खोलेगा।

नपाली पीएम ने किया था समझौता

वहीं जानकारी के लिए बता दें कि, नेपाली प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल ने 31 मई से 3 जून तक भारत का दौरा किया था। जहां दोनों देशों ने 25 साल के अंतर-सरकारी दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते को हरी झंडी दे दी थी। उस समय समझौते पर औपचारिक हस्ताक्षर नहीं हो पाए थे क्योंकि भारत की कैबिनेट ने समझौते के मसौदे का समर्थन नहीं किया था। इस समझौते पर इस महीने औपचारिक तौर पर साइन कर दिए जाएंगे।

भारत और नेपाल के लिए खास

मिली जानकारी के लिए बता दें कि, यह समझौता भारत और नेपाल, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। नेपाल के लिए यह समझौता बिजली के लिए दीर्घकालिक बाजार सुनिश्चित करेगा। यह पहली बार है कि नेपाल इस तरह के दीर्घकालिक सौदे के तहत अपनी बिजली बेचेगा। समझौते के तहत बिजली पूर्वी नेपाल से गुजरने वाली ढालकेबार-मुजफ्फरपुर क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से भारत भेजी जाएगी। दो अन्य परियोजनाओं से उत्पन्न शेष 70 मेगावाट बिजली 132 केवी महेंद्रनगर-टनकपुर ट्रांसमिशन लाइन से भारत के बाजार में आएगी।

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