India News (इंडिया न्यूज), India US Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने ये साफ़ कर दिया है कि डोनाल्ड ट्रंप देशके 47वें राष्ट्रपति होंगे। हाल ही में उन्होंने कमला हैरिस को हराकर बड़ी जीत हासिल की है। उनकी जीत के साथ ही अमेरिका जाने का सपना देखने वाले भारतीयों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या ट्रंप अमेरिका जाने के आड़े आएंगे। दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान भी अप्रवासियों के प्रति ट्रंप का सख्त रवैया सबसे अधिक टेंशन का कारण बन रहा था। यह सवाल आपको टेंशन दे रहा है कि क्या भारतीयों के लिए अमेरिका का ग्रीन कार्ड पाना टेढ़ी खीर साबित होगा।
ट्रंप के सत्ता संभालने के स्थिति होगा साफ
बता दें कि, डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को राष्ट्रपति का पद संभालेंगे। जिसके बाद यह साफ हो पाएगा की उनका रुख क्या है। दरअसल, ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान ग्रीन कार्ड को लेकर अलग-अलग विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने कहा था कि अमेरिका के अंदर कुशल प्रतिभाओं को बनाए रखने के लिए जूनियर कॉलेजों के साथ-साथ अमेरिकी कॉलेजों से स्नातक करने वाले विदेशी छात्रों को भी ग्रीन कार्ड दिया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया था कि इन स्नातकों को अमेरिका में रहने और काम करने के लिए स्वचालित ग्रीन कार्ड मिलना चाहिए। ग्रीन कार्ड धारकों को अमेरिका में प्रवेश करने के लिए वीजा की जरूरत नहीं होती है।
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क्या है ग्रीन कार्ड का सच?
अमेरिका में ग्रीन कार्ड धारकों, यानी जिनके पास ग्रीन कार्ड है, उन्हें एक निश्चित समय आमतौर पर तीन से पांच साल के बाद अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता भी मिल जाता है। अमेरिका में इसे आधिकारिक तौर पर परमानेंट रेजिडेंट ग्रीन कार्ड कहा जाता है। यह कार्ड उस व्यक्ति को दिया जाता है जो अमेरिकी नागरिक नहीं है। हालांकि, यह कार्ड किसी भी विदेशी को अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति नहीं देता है। ग्रीन कार्ड धारकों को अमेरिकी नागरिकों की तरह लगभग सभी अधिकार मिलते हैं।