India News (इंडिया न्यूज), Indus Waters Treaty: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सिंधु जल संधि कार्रवाई ने पाकिस्तान में हलचल मचा दी है। एक तरफ कहा जा रहा है कि इससे 17 करोड़ नागरिक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान सरकार सिंधु नदी का पानी वापस पाने के लिए कुछ भी करने की बात कर रही है। पाकिस्तान ने परमाणु हमले की धमकी भी दी है। इस बीच पाकिस्तान के पूर्व कानून मंत्री अहमद बिलाल सूफी ने शहबाज शरीफ सरकार को आईना दिखाया है।

पाकिस्तान के पूर्व कानून मंत्री ने क्या कहा?

पाकिस्तानी अखबार डॉन में लेख लिखकर सूफी ने कहा है कि अब पाकिस्तान के लिए सिंधु का पानी पाना आसान नहीं है। अगर भारत नहीं चाहेगा तो पाकिस्तान उस पानी को वापस नहीं ले सकता। सूफी ने इसके लिए सिंधु जल संधि और संयुक्त राष्ट्र के कानूनों का हवाला दिया है। पूर्व कानून मंत्री सूफी के मुताबिक सिंधु जल संधि के अनुच्छेद 14 में विवाद की स्थिति में मध्यस्थता की बात कही गई है, लेकिन इसमें यह जिक्र नहीं है कि समझौता खत्म होने के बाद भी मध्यस्थता की जा सकती है या नहीं और यह मध्यस्थता कौन करेगा?

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बताई ये 3 वजह

सूफी कहते हैं कि अगर भारत पाकिस्तान को जवाब देने से इनकार कर देता है तो इस अनुच्छेद का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। पाकिस्तान इस मामले में बलपूर्वक कुछ नहीं कर पाएगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान सरकार सिंधु जल के मुद्दे को यूएन में ले जाने की बात कर रही है। अहमद बिलाल सूफी कहते हैं कि चार्टर के अध्याय VII में किसी भी देश के बीच शांति समझौता करने की बात कही गई है। यूएन किसी भी मामले में तभी हस्तक्षेप करता है जब दुनिया की शांति को खतरा हो।

पाकिस्तान के समर्थन में नहीं है कोई देश

सिंधु जल संधि से दुनिया के देशों को कोई खतरा नहीं है। इतना ही नहीं, रूस और इजरायल जैसे देशों ने हाल ही में चार्टर के इस अध्याय को स्वीकार नहीं किया है, इसलिए भारत भी इसे मानने के लिए मजबूर नहीं है। पाकिस्तान और भारत परमाणु संपन्न देश हैं। दोनों को लेकर 1998 में यूएन में समझौता हुआ था। इसके तहत अगर पाकिस्तान और भारत के बीच लड़ाई होती है तो फ्रांस, रूस, चीन, अमेरिका और ब्रिटेन समझौता करेंगे। फिलहाल इनमें से कोई भी देश पाकिस्तान के समर्थन में नहीं बोल रहा है। सूफी के मुताबिक, पाकिस्तान के लिए इन देशों को मनाना आसान नहीं है। ये देश व्यापार समझौते को लेकर भारत से सीधे दुश्मनी नहीं लेंगे। ऐसे में पाकिस्तान कुछ भी करने की स्थिति में नहीं होगा।

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