India News (इंडिया न्यूज), Iran Anti Hijab Protests: ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन का समर्थन करना मशहूर गायक मेहदी याराही को महंगा पड़ गया। सितंबर 2023 में जारी उनके गीत “योर हेडस्कार्फ” (Roo Sarito) के कारण उन्हें गैरकानूनी गतिविधियों का दोषी ठहराया गया था। पहले उन्हें एक साल जेल की सजा दी गई, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में रखा गया। अब, अदालत के आदेश के तहत, उन्हें 74 कोड़े मारे गए, जिससे ईरान में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विरोध की लहर दौड़ गई।
कोड़े खाने के लिए खुद को किया तैयार
मेहदी याराही ने सजा की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “मैं 74 कोड़े खाने के लिए तैयार हूं। हालांकि, मैं इस अमानवीय यातना की निंदा करता हूं, लेकिन इसे रद्द करने का अनुरोध नहीं करूंगा।” उनकी वकील जहरा मिनोई ने भी इस खबर की पुष्टि की और कहा कि तेहरान रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने यह अंतिम फैसला सुनाया है। याराही की इस सजा के बाद ईरान के मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी ने कहा, “यह सजा सिर्फ मेहदी याराही को नहीं, बल्कि हिजाब के खिलाफ लड़ रहीं तमाम महिलाओं और ‘Women, Life, Freedom’ आंदोलन की आत्मा पर हमला है।”
ईरानी शासन के खिलाफ बढ़ रहा विरोध
ईरान के भीतर और बाहर, इस फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है। अमेरिका में रहने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद ने कहा, “हर कोड़ा और ज्यादा महिलाओं को हिजाब उतारने और आवाज उठाने के लिए प्रेरित करेगा। यह आंदोलन अब नहीं रुकेगा।” ईरानी एनजीओ Human Rights Activists News Agency के अनुसार, 2024 में अब तक कम से कम 131 लोगों को कुल 9,957 कोड़े मारने की सजा दी जा चुकी है।
कैसे बढ़ा हिजाब विरोधी आंदोलन?
सितंबर 2022 में 22 वर्षीय महसा अमीनी को ईरानी नैतिकता पुलिस ने ठीक से हिजाब न पहनने के आरोप में हिरासत में लिया था, जहां उनकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। इसके बाद पूरे देश में हिजाब विरोधी आंदोलन भड़क उठा, जिसमें महिलाओं ने अपने बाल काटकर और हिजाब जलाकर विरोध दर्ज कराया। इस आंदोलन को कुचलने के लिए ईरान सरकार ने सख्त कदम उठाए, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा दी गई और हजारों को जेल में डाल दिया गया।
क्या अब बदलेगा ईरान?
मेहदी याराही को दी गई सजा ने एक बार फिर ईरान की दमनकारी नीतियों को उजागर कर दिया है। सवाल यह है कि क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव इस क्रूरता को रोक पाएगा, या फिर ईरानी शासन अपने विरोधियों के खिलाफ इसी तरह कार्रवाई करता रहेगा?