India News (इंडिया न्यूज)Iran economic crisis: ईरान में इस्लामी सरकार युद्ध की आशंका के मद्देनजर जहां अपने सैन्य बलों को मजबूत करने में जुटी है, वहीं आम जनता आर्थिक संकट से जूझ रही है। देश की मुद्रा का मूल्य आधा रह गया है, महंगाई आसमान छू रही है और बेरोजगारी 70 फीसदी को पार कर गई है। राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के सत्ता संभालने के बाद से हालात और खराब हो गए हैं।
पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में सेंटर ऑफ गवर्नेंस एंड मार्केट्स के वरिष्ठ शोधकर्ता मोहम्मद मशीन चियान के अनुसार ईरानी सरकार इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और सैन्य अभियानों पर खर्च को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से जीवन स्तर लगातार गिर रहा था, लेकिन पिछले एक साल में यह स्थिति त्रासदी बन गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रपति पेजेशकियन ने बजट में आम लोगों के लिए कोई ठोस राहत योजना शामिल नहीं की।
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सेना के लिए खोला गया खजाना
सरकार ने नए साल के लिए सैन्य बजट में 200 प्रतिशत की वृद्धि की है, जबकि राजस्व बढ़ाने के लिए करों में वृद्धि की जा रही है। मुद्रा की हालत इतनी खराब है कि अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कहा कि अगर मैं ईरानी होता तो रियाल में अपनी सारी जमा राशि तुरंत निकाल लेता। वहीं, तेल की बिक्री से होने वाली आय भी अब इतनी नहीं है कि सरकार पेंशन जैसी बुनियादी जिम्मेदारियों को पूरा कर सके।
सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है ईरान
वियना इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक स्टडीज के अर्थशास्त्री मेहदी गोडसी ने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट इस्लामी क्रांति के बाद ईरान के सबसे बुरे दौर को दर्शाता है। ईरान-इराक युद्ध के आठ सालों में भी स्थिति इतनी खराब नहीं थी। उन्होंने कहा कि अब देश की नीतियों का उद्देश्य केवल सत्ता में बने रहना है, जिसके लिए युद्ध और क्षेत्रीय तनाव को बढ़ावा दिया जा रहा है।
तेल बेचकर इतनी कमाई
ईरान की अर्थव्यवस्था काफी हद तक तेल निर्यात पर निर्भर है। हालांकि 2024 में तेल से 54 बिलियन डॉलर की आय हुई, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों और निर्यात लक्ष्यों ने इस आय को अस्थिर बना दिया है। अगर निर्यात पूरी तरह से बंद हो गया, तो सरकार डॉलर की आपूर्ति नहीं कर पाएगी, जिससे ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतें और बढ़ जाएंगी। ऐसे में पेट्रोल पर दी जा रही सब्सिडी भी खत्म हो सकती है।
अगर पेट्रोल की कीमतें बढ़ती हैं, तो 2019 की तरह व्यापक विरोध प्रदर्शन की संभावना हो सकती है, जब अचानक मूल्य वृद्धि के कारण पूरे देश में हिंसा भड़क उठी थी। सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों लोग गिरफ्तार हुए। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार इस बार भी जनता के हितों की अनदेखी करती रही, तो विरोध प्रदर्शनों की एक नई लहर उठ सकती है। युद्ध की आशंका और आर्थिक कुप्रबंधन के इस दौर में ईरानी नेतृत्व पर दबाव बढ़ रहा है।